डॉ. बीरबल झा ने कहा- आओ इंग्लिश से करें फ्रेंडशिप
नई दिल्ली/पटना, 04 अगस्त (हि.स.)। अंग्रेजी सीखने और अध्ययन के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थान ब्रिटिश लिंगुआ ने रविवार को 'विश्व बंधुत्व' विषय पर एक शानदार परिचर्चा का आयोजन किया। यह कार्यक्रम 'मित्रता दिवस' के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया, जहां छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस कार्यक्रम में ब्रिटिश लिंग्वा के बच्चों ने पढ़ने के साथ नाचते एवं झूमते भी दिखाई दिए।
मित्रता दिवस के उपलक्ष्य में यहां आयोजित परिचर्चा को जाने-माने लेखक एवं सोशल आंत्रप्रेन्योर डॉ. बीरबल झा ने कहा कि “आइए एक-दूसरे से दोस्ती करें। झा ने अपने कहा कि यदि आप आज किसी के मित्र नहीं हैं, तो कल आपका मित्र कौन होगा? आइए, दोस्त बनाएं, दुश्मन नहीं। खुशियां मित्र से आती है, न कि दुश्मन से। शत्रुता की जगह मित्रता होनी चाहिए। अपने दोस्तों के साथ लड़ाई करना कभी भी उचित नहीं है।
झा ने कहा आइए, हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें जिसमें पर पीड़क या क्रूर आनंद के लिए कोई जगह न हो। डॉ. बीरबल झा ने मित्र को परिभाषित करते हुए आगे कहा कि मित्र वह है, जिसे आप जानते हैं, पसंद करते हैं और जिसके साथ आप समय बिताना चाहते हैं, अपनी भावनाओं, संवेदनाओं को साझा करना चाहते हैं, और जो हर सुख-दुःख में आपके साथ खड़ा हो, आपको अच्छे काम के लिए प्रोत्साहित करता रहे और आपको कुछ गलत करने से रोके। डॉ. झा ने कहा कि एक अच्छा दोस्त वही है जो ईमानदार राय दे सके, उसकी आंखे एक दर्पण के रूप में हो जहां अपना चेहरा अपने आप देख सके, जो शत्रुता, घृणा, द्वेष, वैमनस्यता रखे, वह मित्र कदापि नहीं हो सकता। इसलिए, यदि आपको मित्र की तलाश है तो मित्र आप बन के दिखाएं। शत्रु न बनें और न ही बनाएं। आइए, एक दूसरे को गले लगाएं।
कृष्ण-सुदामा की गाथा की व्याख्या करते हुए डॉ. बीरबल ने बड़े ही सहज अंदाज में कहा कि कोई भी दोस्ती की सीख भगवान कृष्ण से ले सकता है। हालांकि, आज के युग में, हर जगह एक मौसमी दोस्त मिल जाते हैं, जबकि एक अच्छा दोस्त ढूंढना बेहद मुश्किल है, जिसका सहयोग अच्छे या बुरे समय के बावजूद निरंतर बना रहे। एक अंग्रेजी कहावत का हवाला देते हुए डॉ. झा ने कहा कि मित्र वही जो ज़रूरत के वक़्त काम आये। दोस्त की असली तस्वीर जरूरत के समय में ही सामने आती है। यह खुला रहस्य है कि जब पेड़ गिरता है तो बंदर तितर-बितर हो जाते हैं। लेकिन जिग्गरी दोस्त प्यार, स्नेह और आपसी समझ का बंधन रखते हुए एक साथ रहते हैं।
डॉ. झा ने कहा कि स्वस्थ मित्रता बनाए रखने के लिए आपसी लेन-देन एवं हिसाब-किताब को निर्धारित समय के बीच ही कर लेना चाहिए। इन दो बातों को नहीं भूलना चाहिए कि झूठा दोस्त खुले दुश्मन से भी बदतर होता है।
हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर / प्रभात मिश्रा
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