डीएमआरसी ने इग्नू स्टेशन पर सुरंग बनाने में सफलता हासिल की

नई दिल्ली, 18 मार्च (हि.स.)। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने मंगलवार काे एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर (गोल्डन लाइन) के इग्नू स्टेशन साइट (छतरपुर मंदिर से) पर टनल बोरिंग मशीन की सफलता के साथ चाैथे फेज़ के सबसे गहरे भूमिगत हिस्से पर सुरंग बनाने का काम पूरा किया। यह उपलब्धि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की उपस्थिति में हासिल की गई। इस अवसर पर दिल्ली के उद्योग, खाद्य एवं आपूर्ति तथा पर्यावरण, वन एवं वन्य जीवन मंत्री, मनजिंदर सिंह सिरसा भी मौजूद रहे। यह नई सुरंग औसतन 27.0 मीटर (न्यूनतम गहराई 15.0 मीटर और अधिकतम 39 मीटर) की गहराई पर बनाई गई है, जो दिल्ली मेट्रो की सबसे गहरी सुरंगों में से एक है।
उल्लेखनीय है कि छतरपुर मंदिर और इग्नू के बीच एक और समानांतर सुरंग का काम 25 फरवरी को पूरा हो गया था। इसलिए अब इस चुनौतीपूर्ण खंड पर अप और डाउन दोनों लाइनों पर सुरंग बनाने का काम पूरा हो गया है। मैजेंटा लाइन पर तीसरे फेज़ में हौज़ ख़ास में लगभग 30 मीटर की गहराई पर सुरंग बनाई गई थी। जबकि एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन के लिए एक और सुरंग राजीव चौक मेट्रो स्टेशन के नीचे लगभग 45 मीटर की गहराई पर गुजरती है।
डीएमआरसी द्वारा मिली जानकारी के अननुसार इस सुरंग में लगभग 1048 रिंग लगाए गए हैं। जिनका आंतरिक व्यास 5.8 मीटर है। सुरंग का निर्माण ईपीबीएम (अर्थ प्रेशर बैलेंसिंग मेथड) की सिद्ध तकनीक का उपयोग करके किया गया है, जिसमें प्रीकास्ट टनल रिंग से बनी कंक्रीट लाइनिंग है। इन टनल रिंग को मुंडका में स्थापित पूरी तरह से मशीनीकृत कास्टिंग यार्ड में कास्ट किया गया था।
डीएमआरसी के अनुसर कंक्रीट सेगमेंट की शीघ्र मजबूती के लिए स्टीम क्योरिंग सिस्टम से इनकी क्योरिंग की गई। इस सुरंग निर्माण अभियान में खड़ी ढलान के साथ-साथ अभ्रक और कठोर चट्टानों सहित विभिन्न भू-विज्ञान की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जिसके कारण स्क्रू ऑगर क्षतिग्रस्त हो गया और अभियान के दौरान उसे बदला गया।
डीएमआरसी ने आगे बताया कि मौजूदा वायडक्ट और निर्मित इमारतों के नीचे सुरंग के निर्माण के दौरान सभी आवश्यक सुरक्षा सावधानियां बरती गईं। आस-पास की इमारतों पर लगे अत्यधिक संवेदनशील उपकरणों से जमीनी गतिविधियों पर नजर रखी गई, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं कोई धंसाव न हो। आज सुबह इग्नू स्टेशन पर 1460.00 मीटर लंबी सुरंग खोदने के बाद टीबीएम बाहर निकली। 97 मीटर लंबी एक विशाल टीबीएम का उपयोग करके यह सफलता हासिल हुई।
वहीं डीएमआरसी ने पिछले चार हफ्तों में तीन टीबीएम ब्रेकथ्रू सफलताएं हासिल की हैं। अब तक स्वीकृत फेज़-चौथे के कार्य के तहत, 40.109 किलोमीटर भूमिगत लाइनों का निर्माण किया जा रहा है। एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर में कुल 19.343 किलोमीटर खंड भूमिगत है। विभिन्न मिट्टी वाली और चट्टानी परतों के बीच गोलाकार क्रॉस-सेक्शन वाली सुरंगों की खुदाई के लिए टीबीएम मशीन का उपयोग किया जाता है।
डीएमआरसी ने अंत में बताया कि टीबीएम ने दुनिया भर में सुरंग बनाने के काम में क्रांति ला दी है, जिससे इमारतों और अन्य सतही संरचनाओं को नुकसान पहुंचाए बिना सुरंग खोदी जा सकती है। भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों में भूमिगत सुरंग बनाने के काम के लिए टीबीएम विशेष रूप से उपयोगी हैं। डीएमआरसी में फेज़-एक से ही सुरंग निर्माण कार्य के लिए टीबीएम का उपयोग किया जा रहा है। फेज़-तीसरे में लगभग 50 किलोमीटर भूमिगत सेक्शनों के निर्माण के समय राजधानी क्षेत्र में लगभग 30 टीबीएम का उपयोग किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / कुमार अश्वनी