मोदी के नेतृत्व में दिव्यांग जनों के प्रति दृष्टिकोण में आया निर्णायक बदला : विजेंद्र गुप्ता

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मोदी के नेतृत्व में दिव्यांग जनों के प्रति दृष्टिकोण में आया निर्णायक बदला : विजेंद्र गुप्ता


नई दिल्ली, 6 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में दिव्यांग जनों के प्रति भारत का दृष्टिकोण निर्णायक रूप से बदला है। प्रधानमंत्री द्वारा गरिमा, सशक्तीकरण और क्षमता को नीति-निर्माण के केंद्र में रखने से दिव्यांग नागरिकों के प्रति राष्ट्रीय दृष्टिकोण अधिक संवेदनशील और सक्षम हुआ है।

विधानसभा अध्यक्ष गुप्ता शनिवार को ‘दिव्यालिम्पिक्स 2025: सेलिब्रेटिंग एबिलिटीज’ को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन आशीर्वाद फाउंडेशन ऑफ इंडिया एवं कौशल्या फाउंडेशन द्वारा जनकपुरी स्थित भारती कॉलेज में आयोजित किया गया।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सुगमता को मजबूत करने के लिए कल्याणकारी और शैक्षणिक सहायता की व्यापक व्यवस्था लागू की गई है। उन्होंने ‘निर्मया’ जैसी स्वास्थ्य बीमा योजना तथा ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना’ जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का उल्लेख किया, जो दिव्यांग नागरिकों को स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करती हैं। उन्होंने दिव्यांग छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति जैसी शैक्षणिक पहलों का भी उल्लेख किया, जो शिक्षा की निरंतरता और समान अवसर सुनिश्चित करती हैं।

सुगमता और प्रोत्साहन के परिणामों को रेखांकित करते हुए गुप्ता ने गिरीश कुमार की प्रेरणादायक यात्रा का उदाहरण दिया। बचपन में ट्रेन दुर्घटना में एक पैर खोने के बाद भी उन्होंने अनुशासन और दृढ़ निश्चय के साथ बैडमिंटन में अपना मार्ग बनाया। निरंतर प्रशिक्षण और परिश्रम से उन्होंने प्रतिस्पर्धात्मक स्तर पर अपनी पहचान स्थापित की।

अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे उदाहरण दिखाते हैं कि जब अवसर, प्रोत्साहन और संस्थागत समर्थन उपलब्ध हो, तो क्षमता प्रदर्शन परिवर्तित हो जाती है।

विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिव्यांग व्यक्ति शिक्षा, खेल, रोजगार, सृजनात्मक क्षेत्रों और सार्वजनिक जीवन में निरंतर सार्थक योगदान दे रहे हैं, जिससे विविधता और संस्थागत क्षमता मजबूत होती है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब समावेशन व्यवहारिक, मापनीय और समान सहभागिता पर आधारित हो। उन्होंने कहा कि एक प्रगतिशील राष्ट्र विशेष व्यवस्था से नहीं, बल्कि समान अवसर, समान मानक और क्षमता के प्रति सम्मान से परिभाषित होता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव

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