दिल्ली में संघ कार्यकर्ता की संदिग्ध मौत
नई दिल्ली, 30 सितंबर (हि.स.)। बाहरी उत्तरी जिले के नरेला जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला कार्यवाह जितेन्द्र भारद्वाज (45) की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। सोमवार की सुबह उनका शव रेलवे ट्रैक के पास मिला है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है। पुलिस मामला दर्ज कर दुर्घटना या हत्या, दोनों एंगल से जांच कर रही है। पुलिस की टीमें गठित कर सच सामने लाने का जिम्मा सौंपा गया है। परिजनों ने भी कुछ शक जाहिर किया है। पुलिस के आला अधिकारियों ने परिजनों से मिलकर निष्पक्ष जांच करने का आश्वासन दिया है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जितेन्द्र भारद्वाज परिवार के साथ घोगा गांव (नरेला) में रहते थे। बीते रविवार उनके छोटे भाई प्रवीण भारद्वाज ने उनके लापता होने की नरेला थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। वे शाम के वक्त घर से निकले थे। कहीं जाने के लिये उन्होंने डीटीसी बस ली थी। वे कहां जा रहे थे, इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस मामला दर्ज करके उनकी तलाश कर रही थी। इसी बीच सोमवार सुबह नौ बजे उनका शव भोरगढ़ गांव के पास रेलवे ट्रैक के पास पड़ा मिला। पोस्टमार्टम करवाकर शव परिवार को सौंप दिया गया है। पुलिस घर से लेकर रेलवे ट्रैक के पास तक लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को खंगाला जा रही है।
जितेन्द्र भारद्वाज के एक निकट परिजन ने बताया कि वे रविवार को ही गोहाटी से शाम चार बजे ही वापिस आए थे। करीब छह बजे घर से अकेले निकले थे। हर बार वो अपनी कार से जाते थे लेकिन रविवार को वे पैदल ही निकले थे। जिन्होंने बाद शायद बस से सफर किया था। सात बजे उन्होंने परिवार को फोन किया था और कहा था कि आधे घंटे में वापिस आकर खाना खाऊंगा। बाद में फोन किया तो उठाया नहीं, लेकिन सात बजकर पचास मिनट पर उनका फोन स्वीच ऑफ हो गया था। फोन की लास्ट लोकेशन भोरगढ़ इलाके में थी। जिसके बाद पुलिस को मामले की जानकारी दी थी।
परिवार और संघ के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उनको तलाशने की कोशिश की थी। रात को ही पुलिसकर्मियों को उनका रेलवे ट्रैक के पास आधार कार्ड और लाईसेंस पड़ा मिला था। सुबह जब रेलवे ट्रैक के पास तलाश कर रहे थे। उनका शव खून से लथपथ हालत में पड़ा मिला था। जिनके शरीर पर निशान थे। रात को आधार कार्ड और लाइसेंस मिलने के बाद भी और कुछ न मिलने और सुबह शव मिलने पर शक जताया जा रहा है कि शायद यह कोई दुर्घटना न हो। वैसे भी भोरगढ़ में रेलवे ट्रैक के पास उनके जाने का कोई कारण भी नहीं था। हालांकि रेलवे पुलिस का कहना है कि कोई दुर्घटना हुई थी जबकि परिजनों का मानना है कि उनकी हत्या कर दुर्घटना की शक्ल देने के लिए चलती ट्रेन के सामने फेंका गया होगा। अभी मामले की जांच जारी है।
परिवार वालों ने बताया कि जितेन्द्र भारद्वाज मॉडल टॉउन स्थित एक कोचिंग संस्थान में आईएएस की कोचिंग दिया करते थे। इसके साथ ही संघ के समर्पित और प्रशिक्षित कार्यकर्ता थे। बताया जा रहा है कि वे अवैध मजारों के खिलाफ भी अभियान चलाते थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / कुमार अश्वनी
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