ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर मिला मधुमेह का इलाज, औषधीय पौधों में छिपा गहरा राज
नई दिल्ली, 9 अगस्त (हि.स.)। भारतीय शोधकर्ताओं का कहना है कि मधुमेह पर काबू पाने में औषधीय पौधे असरदार हैं। एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बिहार के गया स्थित ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर मौजूद औषधीय पौधों की क्षमताओं को उजागर किया है। इन्हीं में एक का इस्तेमाल सीएसआईआर ने अपनी महत्वपूर्ण दवा बीजीआर-34 में किया जो आज दोहरी क्षमताओं के साथ काम कर रही है। यह औषधीय पौधा गुड़मार है जिसमें पाए जाने वाले जिम्नेमिक एसिड में रक्त शर्करा को घटाने की अनोखी क्षमता है। जिम्नेमिक एसिड की खूबी यह है कि यह आंत की बाहरी परत में रिसेप्टर के स्थान को भर देता है। जिससे मिठास की लालसा रुक जाती है। नतीजा यह होता है कि आंत चीनी के अणुओं का अवशोषण कम करती है जिससे रक्त में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। मधुमेह रोगियों के लिए यह रामबाण है।
इसी तरह गुड़मार में फ्लेवोनोइड्स और सैपोनिन भी मौजूद हैं जो लिपिड के मेटाबॉलिज्म (उपापचय) को नियंत्रित करते हैं। फ्लेवोनोइड्स में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जबकि सैपोनिन कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्रिएटिव रिसर्च थौट्स (आईजेसीआरटी) में बिहार के मगध विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने इस अध्ययन में बताया कि ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर पाए जाने वाले तीन औषधीय पौधों में से एक गुड़मार (जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे) है। यह वही क्षेत्र है जहां सदियों से परंपरागत वैद्य इन पादपों का मधुमेह समेत विभिन्न रोगों के उपचार में इस्तेमाल कर रहे हैं।
सीएसआईआर ने अपनी मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 में गुड़मार को मिलाया है और एमिल फार्मा के जरिए बाजार में आई यह दवा सफल भी रही है। गुड़मार में कुछ ऐसे औषधीय गुण हैं जो बीजीआर-34 को मधुमेह के साथ साथ लिपिड प्रोफाइल को भी नियंत्रित करने में सक्षम बनाते हैं।
साल 2022 में नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक अध्ययन में यह भी पुष्टि की है कि बीजीआर-34 रक्त शर्करा के साथ साथ मोटापा कम करने में भी असरदार है। शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिज्म) तंत्र में भी सुधार करती है।
एमिल फार्मा के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि बीजीआर-34 में गुड़मार के साथ साथ दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, मजीठ व मैथिका औषधियां भी शामिल हैं। यह मधुमेह, लिपिड प्रोफाइल और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने के साथ साथ एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी बढ़ाती है।
शोधकर्ताओं ने लिखा है कि बीजीआर-34 की तरह मधुमेह की पहली दवा मेटफॉर्मिन भी एक औषधीय पौधे गैलेगा से बनी है। इसलिए गुड़मार पर और भी गहन शोध किए जाएं ताकि नई पीढ़ी को एक और प्रभावी चिकित्सा विकल्प उपलब्ध हो सके।
हिन्दुस्थान समाचार
हिन्दुस्थान समाचार / बिरंचि सिंह / अनूप शर्मा
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