हिंदू धर्म में वापसी के बाद मतांतरित महिला का हुआ अंतिम संस्कार
देर रात तक चली बैठक, शुद्धिकरण के बाद मतांतरित परिवार की हिन्दू धर्म में हुई वापसी
धमतरी, 26 दिसंबर (हि.स.)। बोराई निवासी मतांतरित मृत महिला का शव के अंतिम संस्कार के भारी विरोध के बाद 25 दिसंबर की रात में स्वजन शव को लेकर गांव पहुंचे। गांव में शव पहुंचते ही माहौल खराब हो गया। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस जवानों से गांव छावनी में तब्दील हो गई। रात में ही बैठक व सलाह के बाद मतांतरित परिवार हिन्दू धर्म में वापसी के लिए तैयार हुआ। समाजजनों व ग्रामीणों के बीच मतांतरित परिवार के सदस्यों का रात में ही पूजा-अर्चना कर शुद्धीकरण किया गया, तब जाकर दूसरे दिन आज शुक्रवार सुबह हिंदू रीतिरिवाजों के बीच मृत महिला के शव का स्वजनों ने मौत के बाद अंतिम संस्कार किया।
25 दिसंबर की रात नगरी ब्लाक व ओड़िसा सीमा से लगे ग्राम बोराई में मतांतरित मृत महिला का शव गांव पहुंचते ही ग्रामीणों व समाजजनों का आक्रोश बढ़ गया। अंतिम संस्कार नहीं होने देने पूरा गांव व समाज एकजुट हो गया। गांव का माहौल खराब होता देख पुलिस व प्रशासन के अधिकारी भी पहुंचे। इस बीच समाजजनों व ग्रामीणों की स्वजन के साथ बैठक हुई। बैठक में सहमति बनी कि यदि मृतिका का परिवार ईसाई धर्म को त्यागकर अपने मूल हिंदू धर्म में वापस आता है और हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करता है, तभी गांव में शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा अन्यथा शव को दफनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पहले तो स्वजन तैयार नहीं हुए। इससे रात में ही बहस होने के बाद माहौल गरमा गया था। फिर बड़े बुजुर्गों के साथ बैठक में चर्चा हुई और हिंदू धर्म में वापसी की स्वजनों ने सहमति दी।
ग्रामीण डीके साहू ने बताया कि पहले यह लोग हिंदू थे, फिर दिग्भ्रमित होकर ईसाई धर्म में प्रवेश पा चुके थे। बैठक में गांव के 12 जाति के लोग उपस्थित थे। इस बीच स्वजन ने लिखित में दिया है कि आज के बाद वे हिंदू धर्म को छोड़कर नहीं जाएंगे। परिवार ने कहा कि गांव में जीना और मरना है। गांव के साथ रहना है। हम किसी के बहकावे व लालच में आकर उस धर्म में चले गए थे, जो बड़ी भूल हुई थी। ऐसा लिख कर देने के बाद रात में ही इन मतांतरित परिवारों का शुद्धीकरण कर हिंदू धर्म में मिलाया गया और दूसरे दिन मृत महिला की शव के अंतिम संस्कार के लिए सहमति बनी।
बेलरगांव तहसीलदार अखिलेश देशलहरे ने कहा कि ग्राम बोराई निवासी पुनिया बाई साहू की 24 दिसंबर को मृत्यु हो गई थी। चूंकि पुनिया बाई साहू मतांतरित थी, तो ग्रामीण शव दफन करने के लिए विरोध कर रहे थे। शासन-प्रशासन के अधिकारियों ने दोनों पक्षों से बात की और समझौता कराते हुए शव का अंतिम संस्कार कराया गया। इस दौरान सरपंच सहित गांव के प्रमुखजन, विभिन्न समाज के लोग, पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

