छग विस :सीजीएमएससी में पदस्थ सभी प्रभारी प्रबंधकों को उनके मूल विभाग में भेजा जायेगा : स्वास्थ्य मंत्री

छग विस :सीजीएमएससी में पदस्थ सभी प्रभारी प्रबंधकों को उनके मूल विभाग में भेजा जायेगा : स्वास्थ्य मंत्री
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छग विस :सीजीएमएससी में पदस्थ सभी प्रभारी प्रबंधकों को उनके मूल विभाग में भेजा जायेगा : स्वास्थ्य मंत्री


रायपुर, 26 फ़रवरी (हि.स.)। विधानसभा में आज सोमवार को सीजीएमएससी से दवा एवं मेडिकल उपकरण आपूर्ति में लापरवाही का मामला गूंजा। विपक्ष ने आरोप लगाया कि यहां सालों से जमे अधिकारी वसूली में मशगूल हैं जिससे सरकारी अस्पतालों में समय पर दवाइयां नही पहुंच पा रही है और लोगों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही है। स्वास्थ्य मंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विभाग के वेयर हाउस में पदस्थ सभी प्रभारी प्रबंधकों को उनके मूल विभाग में भेजने की घोषणा सदन में की।

विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से कांग्रेस सदस्य बालेश्वर साहू ने यह मामला उठाते हुए स्वास्थ्य मंत्री को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस लिमिटेड के माध्यम से पूरे प्रदेश के सरकारी अस्पताल के लिए दवाइयां एवं अन्य मेडिकल उपकरणों की खरीद की जाती है, जिसे 16 वेयर हाउस के माध्यम से सभी जिलों में सप्लाई की जाती है। यहां खरीदे गए मेडिसिन की गुणवत्ता जांच के लिए विभिन्न लैब में भेजा जाता है। इन वेयर हाउस में अलग अलग अधिकारी नहीं है। एक ही अधिकारी कई वेयर हाउस की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं जिसके कारण ये जमकर अवैध वसूली कर रहे हैं। इन अधिकारियों की मनमानी से सरकारी अस्पतालों में समय पर दवाइयां भी नहीं पहुंच रही है। कांग्रेस विधायक ने ऐसे अफसरों पर कार्रवाई की मांग की। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के सभी वेयर हाउस में पदस्थ प्रभारी प्रबंधकों को उनके मूल विभाग में लौटाने की घोषणा की।

दवा कम्पनी पर कार्रवाई को लेकर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने विधानसभा में बयान देते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति जो स्वास्थ्य अमले के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ छेड़छाड़ करेगा। उसको बख्शा नहीं जाएगा। जहां तक मान फार्मा के द्वारा मानक दवा सप्लाई का मामला था उसकी जांच पूरी हो चुकी है।उस पर जल्द ही निर्णय लेकर उस पर जो जांच में तथ्य आए हैं उसके आधार पर कार्रवाई करेंगे करेंगे और ब्लैक लिस्ट भी करेंगे।

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सरकारी अस्पतालों में सीजीएमएससी द्वारा सब सेंडर्ड पेंटाप्रेजोल (एंटीबायोटिक) दवा सप्लाई का मामला सामने आया था। दवा घटिया होने को लेकर शिकायत मिलने पर इसकी जांच हुई। सेंट्रल ड्रग्स स्टेंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन वेस्ट जोन मुंबई ने डॉक्टर भीमराव आंबेडकर अस्पताल के सेंट्रल स्टोर को 27 दिसंबर को पत्र जारी किया, जो 12 जनवरी को अस्पताल प्रबंधन को मिला। इसमें दवा के सब स्टेंडर्ड होने की बात कही गई। मामले की जानकारी CGMSC को होने के बाद आनन फानन में सभी सरकारी अस्पतालों को दवा वापस करने के लिए पत्र लिखा गया। लेकिन तब तक सप्लाई की गई 10 लाख गोलियों में 8 लाख गोलियां मरीजों को खिला दी गई थी।

सीजीएमएससी के जीएम तकनीक (ड्रग) हिरेन पटेल के अनुसार यह दवा मान फार्मा कंपनी की है। जुलाई में करीब 10 लाख पेंटाप्रजोल दवा को राज्य के अस्पतालों में सप्लाई की गई थी। दवा अमानक पाई गई है।कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई कर रहे हैं। सदन में ध्यान आकर्षण के बीच वेयरहाउस के प्रबंधक द्वारा सही समय पर दवाई की जांच के लिए लैब नहीं भेजने की बात सामने आई है।

मामले में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सभी सदस्यों की बात सुनने के बाद आज प्रदेश में संचालित सभी स्वास्थ्य विभाग की वेयरहाउस में पदस्थ जो प्रभारी प्रबंधक है। उनको सभी को उनके मूल विभाग भेजने आज घोषणा की है। दवाओं को लेकर अनियमितता की जांच के लिए समिति बनाएंगे और कार्रवाई करेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा

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