बस्तर संभाग में आदिवासियों के धर्मांतरण का मुद्दा विस चुनाव में रहेगा प्रभावी?

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बस्तर संभाग में आदिवासियों के धर्मांतरण का मुद्दा विस चुनाव में रहेगा प्रभावी?


जगदलपुर, 26 अक्टूबर (हि.स.)। बस्तर संभाग में विधानसभा चुनाव में धर्मांतरण का मुद्दा आदिवासियों के बीच बना हुआ है, यदि आदिवासी समुदाय ग्रामीण इलाकों में धर्मांतरण को जहन में रखकर मतदान करता है तो विधानसभा चुनाव का परिणाम में कितना प्रभाव डालता है, यह परिणाम के बाद ही पता चलेगा। बस्तर में धर्मांतरण के मुद्दे को देखते हुए कांग्रेस को एक बार फिर से कर्जामाफी का दांव खेलने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

उल्लेखनीय है कि बस्तर संभाग के 500 से अधिक गांवों के ग्रामसभा ने धर्मांतरण के विरुद्ध प्रस्ताव पारित किया है। जिसे लेकर इसाई समुदाय ने प्रर्दशन और ज्ञापन तक सौंप चुके हैं। कांग्रेस सरकार धर्मांतरण के मामले को दबाने का प्रयास करता रहा है और इसके काट के लिए कांग्रेस आदिवासियों की आस्था उनकी संस्कृति से जुड़े 3,000 से अधिक देवगुड़ी और मातागुड़ी बनाने का दावा करती है। वहीं बैगा, सिरहा, गुनिया, पुजारी को सात हजार रुपये मानदेय देने के साथ ही 7,000 आदिवासी आस्था केंद्र को पट्टा आबंटित कर संरक्षित करने का दावा करती है। वहीं भाजपा आरोप लगा रही है कांग्रेस सरकार धर्मांतरण को बढ़ावा दे रही है।

बस्तर दशहरा में एड़का से आए मांझी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि मतांतरण को लेकर आदिवासियों में बहुत गुस्सा है। इसका असर चुनाव परिणाम पर पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि नारायणपुर के एड़का गांव में धर्मांतरण विवाद के बाद यहां प्रदर्शन में भीड़ अनियंत्रित हो गई थी और हमले में नारायणपुर एसपी सदानंद कुमार का सिर फूट गया था। चित्रकोट के कर्रेकोट के मंगलू मांझी ने बताया कि उनके गांव में देवगुड़ी बन रही है। आदिवासियों के देवी-देवताओं के नाम पर पट्टा बना है, जिसे लेकर ग्रामीण उत्साहित हैं। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के प्रांताध्यक्ष राजाराम तोड़ेम कहते हैं कि विगत वर्षों में बस्तर संभाग में आदिवासी समाज के भीतर अपनी संस्कृति व परंपरा के संरक्षण को लेकर जागरुकता आई है। ग्राम सभा में धर्मांतरण के विरुद्ध प्रस्ताव पारित कर धर्मांतरण पर अंकुश लगाया गया है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप ने कहना है कि आदिवासियों का मतांतरण करने वाले विघटनकारी तत्वों को संरक्षण देकर कांग्रेस सरकार ने आदिवासी परंपरा और संस्कृति को खत्म करने का काम किया है। आईएएस-आइपीएस अधिकारी ने पत्र लिखकर आदिवासी मतांतरण पर चिंता जताई तो कांग्रेस ने उन्हें ही बस्तर से हटा दिया। बस्तर में धर्मांतरण की शिकायतें थानों तक पहुंच रही हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। इसके चलते धर्मांतरण कराने वाले और धर्मांतरित यहां के आदिवासियों के साथ मारपीट कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने आदिवासी संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने का काम करते हुए देवी-देवताओं के नाम पर पट्टा देकर देवस्थलों का संरक्षण किया है। गांव-गांव में देवगुड़ी-मातागुड़ी बनाया है।

उल्लेखनीय है कि धर्मांतरण के मुद्दे पर भाजपा के द्वारा राज्य गठन के बाद बस्तर में 25 हजार से अधिक आदिवासियों का धर्मांतरण का दावा करने एवं 05 हजार से अधिक आदिवासियों की जनजागरण के बाद विगत दो वर्षोंं में घर वापसी का दावा और बस्तर में दो वर्षों में 180 से अधिक धर्मांतरण के विवाद होने के दावे के साथ लगातार हमलावर होने पर मुख्यमंत्री भूपेश को बचाव में बयान देना पड़ा था। तब मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा था कि धर्मांतरण और सांप्रदायिकता की बातें करने में भाजपा की मास्टरी और पीएचडी है। जबकि भाजपा के 15 वर्षों की सरकार में ही आदिवासियों का सर्वाधिक मतांतरण हुआ। गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश प्रवास के दौरान कहा था कि आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा का वादा कर सत्ता में आई भूपेश सरकार में अप्रत्याशित तौर पर आदिवासियों के धर्म परिवर्तन की बयार आई है।

हिन्दुस्थान समाचार/राकेश पांडे

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