नारायणपुर : ग्रामीणों ने पुलिस पर लगाया फर्जी गिरफ्तारी का आरोप, तोयामेटा में किया प्रदर्शन

नारायणपुर : ग्रामीणों ने पुलिस पर लगाया फर्जी गिरफ्तारी का आरोप, तोयामेटा में किया प्रदर्शन
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नारायणपुर : ग्रामीणों ने पुलिस पर लगाया फर्जी गिरफ्तारी का आरोप, तोयामेटा में किया प्रदर्शन


नारायणपुर, 20 दिसंबर (हि.स.)। जिले के नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के ग्राम तोयामेटा में माड़ बचाव मंच के ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि 10 दिसंबर को माड़ बचाव मंच के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शंकर कश्यप, समलू कोर्राम, लखमा कोर्राम और रामू पोडियाम कुल चार आंदोलनकारियों को पुलिस ने बेवजह गिरफ्तार कर फर्जी नक्सली मामले में जेल भेज दिया है। ग्रामीणों ने गिरफ्तार आंदोलनकारियों नि:शर्त रिहा करने की मांग की है, वहीं यदि ग्रामीणों को रिहा नही करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आज बुधवार को जिले के नक्सल प्रभावित ग्राम तोयामेटा में हजारों ग्रामीण एकत्र हुए और रैली निकाली साथ ही जमकर प्रदर्शन किया। ग्रीमीणों ने बयान जारी कर पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया है कि 10 दिसंबर को जब माड़ बचाव मंच के कुछ पदाधिकारी और कार्यकर्ता बेचा घाट आंदोलन स्थल से आंदोलन की वर्षगांठ मना कर लौट रहे थे, इसी दौरान पुलिस द्वारा पीछा कर माढ़ोनर आंदोलन के शंकर कश्यप और समलू कोर्राम सहित ओरछा आंदोलन के आंदोलनकारी लखमा कोर्राम और रामू पोडियाम कुल चार आंदोलनकारियों को पुलिस ने बेवजह गिरफ्तार कर फर्जी नक्सली मामले बनाकर दो दिन बाद 12 दिसंबर की शाम को जेल भेज दिया है। जिसकी सूचना सगे संबंधियों या ग्रामीणों तक को नहीं दी गई। ग्रामीणों ने मीडिया के माध्यम से मांग की है कि पुलिस द्वारा पकड़े गए सभी आंदोलनकारियों को बिना कोई हानि पहुंचाए नि:शर्त छोड़ दें वरना ग्रामीणों द्वारा उग्र आंदोलन आरंभ कर दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि लगभग एक वर्ष से अपनी मांगों जिसमें बस्तर संभाग के सभी पुलिस कैंप हटाने, पुल पुलिया सड़क नही बनाने, झूठे मुठभेड़ में मारे गये लोगों को एक करोड़ एवं घायलों को पचास हजार का मुवावजा देने, खनन, बांध संबंधित परियोजनाएं बंद करने जैसे मांगों को लेकर अबूझमाड़ में ग्रामीण पांच अलग-अलग स्थान पर आंदोलन कर रहे हैं। ग्रामीणों का सारा आंदोलन माड़ बचाव मंच के बैनर तले संचालित हो रहा है। आंदोलनकारियों ग्रामीणों के उक्त मांग एवं नक्सलियों की मांग में कोई भी अंतर नहीं होने से यह कहा जाता है कि उक्त आंदोलन नक्सलियों के दबाव/संरक्षण में ग्रामीणों को आगे कर चलाया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/राकेश पांडे

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