11 वीं सदी का नागदेव मंदिर है लोगों के आस्था का केंद्र
धमतरी, 9 अगस्त (हि.स.)। जिले के इकलौते नागदेव मंदिर में सच्चे दिल से मांगे जाने वाली हर मनोकामना पूर्ण होती है। इससे ग्यारहवी सदी का यह मंदिर आज भी लोगों में आस्था का केंद्र बना हुआ है। आज नागपंचमी पर यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटी जो अपने अपने तरीके से नागदेव के प्रति आस्था प्रकट किए।
गौरतलब है कि धर्म की नगरी में एक से बढ़कर एक प्राचीन मंदिर है। इनकी गाथा काफी अदभुत है। कुछ इसी तरह का मंदिर हटकेशर वार्ड स्थित नागदेव मंदिर है। दिलीप देवांगन, श्याम देवांगन, गेंदूराम साहू, धनीराम पटेल, जगत साहू ने बताया कि नागदेव मंदिर 11वीं सदी का है। उनके पूर्वजों ने उन्हें बताया था कि वर्तमान में जो नागदेव मंदिर है वहा एक जमाने में घनघोर जंगल हुआ करता था। नागदेव की प्रतिमा भू-गर्भ से निकला है। लेकिन यहां सापो का वास अधिक होने से वहां जाने एकाएक कोई हिम्मत जुटा नहीं पाता था। बावजूद कुछ बुजुर्ग हिम्मत जुटाकर एक दिन वहां पहुंचे। उनके द्वारा नागदेव की प्रतिमा की पूजा की गई। इसके बाद उनकी सारी परेशानियां दूर हो गई। फिर धीरे धीरे नागदेव के प्रति लोगों में आस्था जागती गई। इस तरह खुले में रहने वाले नागदेव महाराज की प्रतिमा को सुरक्षित करने जनसहयोग से छोटा मंदिर निर्माण कराया गया।
मंदिर के पुजारी एवं युग पुरोहित नारायण कौशिक ने बताया कि नागदेव युवा एवं महिला संगठन द्वारा नागपंचमी पर्व को आज उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। वार्ड के लक्ष्मीनारायण साहू, गेंदूराम साहू, गोपी शांडिल्य ने बताया कि एक जमाना था जब नागदेव मंदिर परिसर में कई सांप विचरण करते रहते थे। बावजूद लोग मंदिर में पूजा पाठ करने आते थे। लेकिन कभी भी किसी को इन सापों ने हानि नहीं पहुंचाया। हालांकि वर्तमान में आसपास घने बसाहट की वजह से सांपो की संख्या कम हो गई है। लेकिन अभी भी मंदिर में नाग का वास है। जो समय समय पर दर्शन देते रहते हैं। वहीं आज तक नागदेव की कृपा से वार्ड में सर्पदंश की घटना नही हुई। दिलीप देवांगन, लक्ष्मण साहू, सोमन देवांगन, नारायण देवांगन ने बताया कि कुछ ग्रंथों में हाटकेशर नाम भी अंकित है। इससे जानकारी मिलती है कि पूर्व में यह हाटकेश्वर ही था। लेकिन बदलते परिवेश में हाटकेश्वर से अब हटकेशर हो गया है। ठीक उसी तरह जैसे धमतरी का नाम पूर्व में धरमतराई था। जो अब धमतरी हो गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा / चन्द्र नारायण शुक्ल
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