बस्तर जिले के 300 हेक्टेयर टिकरा-मरहान भूमि में ऑयल पॉम के पौधरोपण का लक्ष्य
जगदलपुर, 5 जुलाई (हि.स.)। छत्तीसगढ़ का बस्तर अंचल विभिन्न फसलों की खेती-किसानी के लिए काफी उपयुक्त है, यहां की जलवायु और मिट्टी काजू, कॉफी, मिर्च, ऑयल पॉम जैसी फसलों के लिए भी अनुकूल है। इसे मद्देनजर रखते हुए कलेक्टर विजय दयाराम के. के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन द्वारा बस्तर जिले के किसानों को ऑयल पॉम की खेती के लिए प्रोत्साहित कर उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान कर रही है। जिससे अब जिले के 05 विकासखण्डों बकावंड, तोकापाल, लोहण्डीगुड़ा, बास्तानार एवं दरभा में 300 हेक्टेयर लक्ष्य के अनुरूप टिकरा-मरहान भूमि पर किसानों द्वारा ऑयल पॉम का पौधरोपण किया जा रहा है।
खाद्य तेल के रूप में उपयोग किये जाने वाले पॉम ऑयल की बाजार में बहुत मांग होने के फलस्वरूप 123 किसान इस ओर आकर्षित होकर अभी तक करीब 237 हेक्टेयर रकबा में ऑयल पॉम का पौधरोपण कर चुके हैं। साथ ही इंटरक्रॉपिंग फसलों से भी अतिरिक्त आय के जरिए उक्त किसान ऑयल पॉम की खेती से समृद्ध होने के प्रति आशान्वित हैं।
जिले में ऑयल पॉम की खेती-किसानी के लिए रुचि रखने वाले किसानों को जिला प्रशासन द्वारा सिंचाई साधन और चैनलिंक फेंसिंग के लिए सहायता प्रदान करने के साथ ही निःशुल्क पौधे उपलब्ध करवाया गया है। वहीं मनरेगा से अभिसरण कर पौधरोपण करवाया जा रहा है, जिससे इन कृषक परिवारों सहित स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार सुलभ हो रहा है। ऑयल पॉम की खेती के लिए अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को उनकी रुचि के अनुरूप प्राथमिकता देकर चयनित किया गया है। यही वजह है कि जिले के बास्तानार, दरभा, लोहण्डीगुड़ा, तोकापाल विकासखण्डों के दूरस्थ ईलाके के किसानों ने अपने टिकरा-मरहान जमीन पर ऑयल पॉम की खेती के लिए दिलचस्पी दिखाई है।
ऑयल पॉम की खेती के लिए उत्साहित तोकापाल ब्लॉक के मंडवा निवासी सोमन बघेल इस सम्बंध में बताते हैं कि वे अपने गांव के 05 अन्य किसानों के साथ मिलकर सामूहिक तौर पर एक ही जगह स्थित मरहान भूमि में ऑयल पॉम का पौधरोपण कर रहे हैं। उक्त मरहान भूमि में पहले कोदो-कुटकी एवं कुल्थी की पैदावार लेते थे और पालतू पशुओं से फसल की सुरक्षा करने की चिंता लगी रहती थी। लेकिन अब सभी 06 किसानों के एक ही स्थान पर स्थित करीब 11 हेक्टेयर टिकरा-मरहान भूमि में ऑयल पॉम की खेती के लिए चैनलिंक फेन्सिंग करवाने सहित सिंचाई के लिए दो नलकूप की व्यवस्था शासन की मदद से पूरी हो चुकी है।
उद्यानिकी विभाग के अनुसार शुरुआत के 07 वर्ष तक ऑयल पॉम के हर पेड़ से औसतन 120 किलोग्राम फल मिलेगा। वहीं बाद में प्रत्येक पेड़ से 250 किलोग्राम फल मिलेगा। जिससे किसानों को हर साल ढाई से तीन लाख रुपये की आमदनी होने की संभावना है। वहीं सिंचाई साधन का बेहतर इस्तेमाल कर ऑयल पॉम के साथ मक्का, शक्करकंद, मिर्च, ग्वारफली, भिंडी इत्यादि इंटरक्रॉपिंग फसलों से भी अतिरिक्त आय हो सकेगी। इंटरक्रॉपिंग के लिए 50 प्रतिशत अनुदान किसानों को दी जाएगी। इन किसानों को उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध कराया गया है।
जिले में ऑयल पॉम की खेती के तहत 2022-23 में बकावंड, लोहण्डीगुड़ा एवं बास्तानार ब्लॉक के 30 किसानों ने 70.10 हेक्टेयर और वर्ष 2023-24 में बकावंड, तोकापाल, लोहण्डीगुड़ा, बास्तानार एवं दरभा विकासखण्ड के 66 किसानों ने 121.87 हेक्टेयर में पौधरोपण किया है। वहीं वर्ष 2024-25 में तोकापाल, लोहण्डीगुड़ा एवं दरभा ब्लाॅक अन्तर्गत 27 किसानों के 45.22 हेक्टेयर रकबा में ऑयल पॉम का पौधरोपण कार्य पूर्णता पर है। इन किसानों को ऑयल पाॅम की खेती के तरीकों का विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे
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