पर्व छठ के दूसरे दिन खरना पूजा में गुड़ का खीर ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला व्रत किया शुरू
जगदलपुर, 18 नवंबर(हि.स.)। लोक आस्था का पर्व छठ पूजा की शुरुआत 17 नवंबर से नहाय खाय के साथ हो चुकी है, आज छठ का दूसरा दिन है, इस दिन को खरना के नाम से संबोधित किया जाता है। तीसरे दिन रविवार की शाम को अस्त होते सूर्य को घाटों पर प्रथम अघ्र्य दिया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का हर एक दिन बहुत ही महत्व रखता है। खरना से तात्पर्य है शुद्धीकरण, इसे लोहंडा के नाम से भी जाना जाता है। छठ पर्व के खरना के दिन महिलाएं व्रत रखती है। इस दिन गुड़ की खीर मिट्टी के चूल्हे पर तैयार कर छठी मैया का भोग लगाया जाता है। इसके बाद व्रती महिलाएं प्रसाद को ग्रहण करती हैं, और फिर सभी को प्रसाद वितरित किया जाता है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद से महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और इस व्रत के अगले दिन सूर्यास्त के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर तोड़ती हैं। महिलाएं लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत आरोग्य, समृद्धि और संतान के लिए रखा जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार/राकेश पांडे
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