सप्तऋषियों की तपोभूमि सिहावा पर्यटकों को कर रहा आकर्षित

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सप्तऋषियों की तपोभूमि सिहावा पर्यटकों को कर रहा आकर्षित


सप्तऋषियों की तपोभूमि सिहावा पर्यटकों को कर रहा आकर्षित


सप्तऋषियों की तपोभूमि सिहावा पर्यटकों को कर रहा आकर्षित


धमतरी, 8 जनवरी (हि.स.)। सप्तऋषियों की तपोभूमि सिहावा अंचल में प्रसिद्ध है। जीवनदायिनी चित्रोत्पला महानदी का उद्गम भी सिहावा पर्वत से ही हुआ है। यह क्षेत्र पहाड़, नदियों और हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।

श्रृंगी ऋषि सिहावा की पहाड़ी से करीब 42 मीटर की ऊंचाई पर महेन्द्र गिरी के नाम से विख्यात है। यहां त्रेतायुग के प्रसिद्ध ऋषि, श्रृंगि ऋषि का आश्रम, उससे कुछ दूरी पर गुफा और उनकी पत्नी शांता का आश्रम है। श्रृंगि ऋषि आश्रम का प्राचीन काल से तांत्रिकों की पूजा के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। आश्रम में एक तालाब है। आश्रम के निकट जलकुंड से छत्तीसगढ़ की गंगा चित्रोत्पला महानदी का उद्गम हुआ है। यहां माघ पूर्णिमा में विशाल मेला आयोजित होता है।

सिहावा के श्रृंगी ऋषि आश्रम से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर केकराडांगरी मां देवी के नाम से प्रसिद्ध पहाड़ियों की श्रृंखला स्थित है। यह गांव दुधावा बांध की सीमारेखा के समीप है। इस गांव से पास केकराडोंगरी से कंक ऋषि का आश्रम जुड़ता है। कंक ऋषि उस समय के बहुत ही ज्ञानी और बुद्धिमान व्यक्ति थे।

शरद पूर्णिमा के दिन लगता है मेला

महर्षि श्रृंगी के आश्रम से उत्तर में नगरी से आठ किलोमीटर की दूरी पर मगरलोड ब्लाक में दलदली गांव के जंगल में ऋषि सरभंग का आश्रम है। सरभंग ऋषि पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहां तक जाने के लिए पगडंडी है। साल में एक बार शरद पूर्णिमा के दिन यहां मेला लगता है। सरभंग ऋषि की दूसरी पहाड़ी में दो कुंड है, जिसमें बारहों महीने पानी भरा रहता है और रात्रि में दोनों कुंड में प्रकाश दिखता है।

मेचका गांव का नाम मुचकुंद ऋषि के नाम पर

अंगीरा ऋषि का आश्रम नगरी से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस पहाड़ी के पास ग्राम-घटुला और रतावा है। अंगीरा ऋषि आश्रम पहाड़ियों की गुफाओं पर स्थित बहुत ही मनोरंजक स्थल है। श्रृंगी ऋषि के दक्षिण में पहाड़ के ऊपर में अगस्त्य ऋषि का आश्रम स्थित है। यह स्थान नगरी से एक मिलोमीटर की दूर पर हरदीभाटा गांव के उपर है। त्रेतायुगीन ऋषि अगस्त्य बहुत शक्तिशाली और ज्ञानी पुरूष थे। महर्षि मुचकुंद ऋषि का आश्रम सीतानदी के पास जंगली जीवन से मुक्त मेचका गांव के मेचका पहाड़ी पर स्थित है। मेचका गांव का नाम मुचकुंद ऋषि के नाम पर रखा गया है। यह नगरी से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

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