उगते सूर्य को अर्घ्य देकर हुआ छठ महापर्व का समापन

उगते सूर्य को अर्घ्य देकर हुआ छठ महापर्व का समापन
WhatsApp Channel Join Now


उगते सूर्य को अर्घ्य देकर हुआ छठ महापर्व का समापन


उगते सूर्य को अर्घ्य देकर हुआ छठ महापर्व का समापन


रायपुर, 20 नवंबर (हि.स.)।छत्तीसगढ़ में चार दिवसीय छठ महापर्व के आखिरी दिन सोमवार को ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके सुबह बिलासपुर ,दुर्ग रायपुर,अंबिकापुर,भिलाई, धमतरी सहित अन्य शहरों में महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया।

उन्होंने संतान के स्वस्थ दीर्घायु जीवन और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए परिवार की खुशहाली के लिये भगवान सूर्य से प्रार्थना कर षष्ठी देवी की विधिपूर्वक पूजा की। भगवान सूर्य के उदय ही उन्हें अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हुआ। व्रती महिलाएं फल और प्रसाद से भरा दउरा-सूप लेकर भगवान भास्कर की उपासना करती दिखीं। अर्घ्य देने और पूजा करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत ठेकुआ, फल आदि ग्रहण कर महापर्व छठ का समापन हुआ ।

रविवार को महादेव घाट में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व मंत्री राजेश मूणत, सांसद सुनील सोनी, विधायक विकास उपाध्याय, महापौर एजाज ढेबर शामिल हुए और छठ पर्व की बधाई दी।महादेव घाट आयोजन समिति के मंच पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व सीएम डॉक्टर रमन सिंह ने हाथ मिलाया।

राजधानी रायपुर में रविवार दोपहर से ही नदी के तट पर महादेव घाट में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।दोपहर तीन बजे से ही व्रती महिलाएं परिवार के साथ एकत्रित होने लगी। पूजन वेदी के समक्ष विविध तरह के फलों, सब्जियों को अर्पित कर परिवार की सुख, समृद्धि की प्रार्थना की गई । पूजन करते-करते जब सूर्यदेव अस्तांचल की ओर अग्रसर होने लगे तब नदी की धारा में कमर तक डूबकर सूर्यदेव और उनकी बहन छठी माता को अर्घ्य देने की परंपरा निभाई। प्रशासन ने घाटों पर साफ -सफाई,सजावट र सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये थे।सांस्कृतिक कार्यक्रमों भी आयोजन किया गया था।सूर्यास्त के समय नदी की धारा में कमर तक डूबकर सूर्यदेव और उनकी बहन छठी माता को अर्घ्य देने की परंपरा निभाई गई । इस दौरान छठ के लोकगीतों से महादेवघाट परिसर गूंज उठा।

सोमवार सुबह राजधानी के महादेव घाट सहित अन्य जगहों पर बने छठ घाटों पर बड़ी संख्या में व्रतधारी महिलाएं पहुंची। ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके सूर्य उदय से पहले ही अर्घ्य देने का सिलसिला प्रारंभ हुआ। घाट के किनारे आतिशबाजी की गई। अर्घ्य देने के बाद महिलाएं ठेकुआ का प्रसाद ग्रहण करके निर्जला व्रत का पारणा किया।

हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story