लोस 24 :रायपुर लोकसभा सीट पर 1951 से अब तक 17 बार हुए चुनाव में आठ बार मतदाताओं ने कांग्रेस को चुना

लोस 24 :रायपुर लोकसभा सीट पर 1951 से अब तक 17 बार हुए चुनाव में आठ बार मतदाताओं ने कांग्रेस को चुना
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लोस 24 :रायपुर लोकसभा सीट पर 1951 से अब तक 17 बार हुए चुनाव में आठ बार मतदाताओं ने कांग्रेस को चुना


रायपुर, 2 मार्च (हि.स.)।भाजपा ने लोकसभा चुनाव 24 के लिए रायपुर से मौजूदा साय सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है।वहीं भाजपा ने सरगुजा से चिंतामणि महाराज को अपना प्रत्याशी बनाया है।मंत्री बृजमोहन अग्रवाल आठवीं बार के विधायक हैं। वह अविभाजित मध्यप्रदेश में पटवा सरकार में मंत्री रहे।इसके बाद रमन सरकार के तीनों कार्यकाल में मंत्री रहे हैं।पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास को 67,919 मतों के अंतर से हराया।रायपुर लोकसभा सीट से आजादी के समय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे आचार्य कृपलानी ने भी चुनाव लड़ा था। प्रदेश की पहली महिला लोकसभा सदस्य व समाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ने वाली मिनीमाता अगम दास गुरु भी यहां सदस्य रहीं। इसी तरह समाजवादी नेता पुरुषोत्तम लाल कौशिक ने भी इसी सीट से राष्ट्रीय पटल पर अपनी पहचान बनाई।छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में रायपुर राज्य मुख्यालय की सीट होने के कारण वीआईपी मानी जाती रही है।

रायपुर से निर्वाचित कांग्रेस नेता रहे स्वर्गीय विद्याचरण शुक्ल का राष्ट्रीय राजनीति में दबदबा रहा। वहीं गांधीवादी और किसान मजदूर आंदोलन के प्रणेता केयूर भूषण भी इसी रायपुर संसदीय क्षेत्र से दो बार लोकसभा सदस्य रहे और सबसे अधिक सात बार चुनाव जीतकर वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल का दायित्व संभाल रहे रमेश बैस ने बड़ा रिकार्ड बनाकर अपनी अलग पहचान बनाई है ।

डेमोग्राफी और विधानसभा सीटें यहां की कुल जनसंख्या करीब 25 लाख है। इनमें पिछड़ी जाति साहू-कुर्मी समाज का बाहुल्य है। दोनों क्रमश: 30 और 20 फीसद हैं।पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार यहां कुल मतदाताओं की संख्या 2111738 थी जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1072531तथा महिला मतदाताओं की संख्या 1038910 रही है।थर्ड जेंडर के मतदाता 297 हैं।रायपुर लोकसभा सीट के तहत नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें बलौदाबाजार, भाटापारा, धरसींवा, रायपुर नगर पश्चिम, रायपुर नगर उत्तर, रायपुर नगर दक्षिण, रायपुर ग्रामीण, अभनपुर और आरंग विधानसभा क्षेत्र शामिल है।रायपुर लोकसभा सीट पर 1951 से अब तक 17 बार हुए चुनाव में आठ बार मतदाताओं ने कांग्रेस को चुना है।

लोकसभा क्षेत्र के बलौदाबाजार, भाठापारा, सीटों पर कुर्मी मतदाताओं की संख्या अधिक हैं। इसी तरह आरंग, अभनपुर, बलौदाबाजार, भाठापारा, धरसींवा में सतनामी मतदाताओं की भी काफी संख्या है।जबकि रायपुर ग्रामीण, आरंग, धरसींवा और रायपुर पश्चिम में साहू मतदाता की अधिकता है।भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों के आधार पर इन सीटों के कुर्मी, साहू और सतनामी मतदाता लोकसभा सदस्य चुनने में अहम भूमिका निभाते हैं।

राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार रायपुर उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में जातिगत समीकरणों ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाते क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में सभी वर्ग के मतदाता शामिल हैं।

रायपुर लोकसभा सीट का इतिहास 1952 से शुरू होता है।शुरुआती दौर में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन 1977 में जनता पार्टी ने जीत हासिल की।वहीं, भाजपा का सफर 1989 में रमेश बैस की जीत से शुरू हुआ। पिछले चुनाव में भाजपा के सुनील कुमार सोनी ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस की लगातार जीत का मिथक पुरुषोत्तम कौशिक ने तोड़ा। इसके बाद फिर यह सीट कांग्रेस के कब्जे में चली गई। 1989 में रमेश बैस ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे केयूर भूषण को हराया। 1991 में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल लोकसभा सदस्य बने।इसके बाद 1996 में विद्याचरण के बड़े भाई श्यामाचरण शुक्ल को रमेश बैस ने हराया। इसके बाद से रायपुर सीट भाजपा का गढ़ बन गया। बैस 1996, 1998, 1999,2004, 2009 और 2014 तक लगातार लोकसभा चुनाव जीते। अभी भाजपा के सुनील सोनी लोकसभा सदस्य हैं।

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे विद्याचरण शुक्ल को रायपुर लोकसभा सीट से ही पहचान मिली। 1971 में हुए चुनाव में मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल के पुत्र विद्याचरण शुक्ल ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जनसंघ के प्रत्याशी बाबूराव पटेल को 84 हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया था। वहीं आपातकाल में विद्याचरण शुक्ल , 1977 में हुए चुनाव में लोकदल के प्रत्याशी के तौर पर खड़े पुरुषोत्तम लाल कौशिक से 85 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से पराजित हुए थे।कांग्रेस का गढ़ बन चुके रायपुर लोकसभा सीट से 1977 में चुनाव जीतकर पुरुषोत्तम लाल कौशिक ने जबरदस्त सेंध लगाई थी। 1967 में हुए चुनाव में कांग्रेस के लखनलाल गुप्ता ने जीत हासिल की। उन्होंने 1947 में भारत की आजादी के समय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे जेबी कृपलानी (आचार्य कृपलानी) को पराजित किया था। कृपलानी कांग्रेस से अलग होकर जन कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर खड़े हुए थे।

1952 में बिलासपुर-दुर्ग-रायपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस से दो लोकसभा सदस्य भूपेन्द्र नाथ मिश्रा और मिनीमाता अगम दास गुरु चुनी गईं।वर्ष 1957 में रानी केशर कुमारी देवी के पहले रायपुर सांसद राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह रहे। उनके बाद रानी केशर देवी 23.59 मत हासिल कर सांसद निर्वाचित हुईं।1967 में हुए चुनाव में कांग्रेस के लखनलाल गुप्ता ने जीत हासिल की। उन्होंने 1947 में भारत की आजादी के समय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे जेबी कृपलानी (आचार्य कृपलानी) को पराजित किया था। कृपलानी कांग्रेस से अलग होकर जन कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर खड़े हुए थे।1962में रायपुर लोकसभा सीट पर रानी केशर कुमारी देवी ,1967 में कांग्रेस पार्टी के लखन लाल गुप्ता ,1971में कांग्रेस पार्टी से विद्याचरण शुक्ल ,1977 में जनता पार्टी से पुरुषोत्तम कौशिक लोकसभा सदस्य चुने गए।1980 तथा 1984 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी केयूर भूषण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) से लोकसभा सदस्य चुने गए।1989में भाजपा से पहली बार रमेश बैस रायपुर लोकसभा सदस्य बने।कांग्रेस से1991में विद्याचरण शुक्ल दूसरी बार लोकसभा सदस्य बने।फिर1996,1998, 1999,2004,वर्ष2009,तथा वर्ष 2014 में भाजपा से सातवीं बार रमेश बैस लोकसभा सदस्य बने।

हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा

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