फसल चक्र परिवर्तन : धान से विविध फसलों की ओर बढ़ता धमतरी का किसान

WhatsApp Channel Join Now
फसल चक्र परिवर्तन : धान से विविध फसलों की ओर बढ़ता धमतरी का किसान


फसल चक्र परिवर्तन : धान से विविध फसलों की ओर बढ़ता धमतरी का किसान


धमतरी, 19 दिसंबर (हि.स.)। धमतरी जिले के किसान अब परंपरागत धान की खेती के साथ-साथ कम पानी में होने वाली दलहन एवं तिलहन फसलों की ओर तेजी से रुझान दिखा रहे हैं। जल संरक्षण, लागत में कमी और बेहतर आय की संभावनाओं को देखते हुए जिले के कई गांवों संकरा, भोयना, संबलपुर, खपरी, पुरी, कन्हारपुरी, डांडेसरा, भुसरेंगा, बगौद, कोसमर्रा, कुर्रा, देवरी, बुड़ेनी एवं सिहाद के किसान फसल चक्र अपनाकर खेती को अधिक टिकाऊ और लाभकारी बना रहे हैं।

फसल विविधीकरण की इस पहल में जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। किसानों को वैज्ञानिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली फसलों की तकनीक, उन्नत किस्मों की जानकारी, संतुलित उर्वरक उपयोग तथा कीट-रोग प्रबंधन के उपाय बताए जा रहे हैं। साथ ही किसानों को प्रमाणित बीज, उर्वरक, जैव खाद तथा मिट्टी परीक्षण की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे फसल चयन और पोषक तत्व प्रबंधन अधिक सटीक हो सके। वर्तमान रबी सीजन में जिले में सरसों, गेहूं, चना, मूंगफली एवं मेड़ों पर अरहर की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सरसों की खेती लगभग 4500 हेक्टेयर क्षेत्र में, चना करीब 10,000 हेक्टेयर में तथा मूंगफली 325 एकड़ क्षेत्र में की जा रही है। इसके अलावा सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की खेती भी लगातार बढ़ रही है, जिससे किसानों को बाजार में स्थिर मांग और बेहतर मूल्य मिल रहा है। मेड़ों पर अरहर जैसी फसलों से अतिरिक्त आय के साथ-साथ भूमि की उर्वरता भी बनी रहती है। दलहन-तिलहन फसलों को अपनाने से किसानों की सिंचाई लागत में कमी आई है और जल संसाधनों पर दबाव भी घटा है। ये फसलें मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाकर अगली फसलों के लिए भूमि को अधिक उपजाऊ बनाती हैं। कृषि विभाग द्वारा प्रोत्साहित सूक्ष्म सिंचाई, फसल अवशेष प्रबंधन और प्राकृतिक खेती के तत्वों से किसानों को दीर्घकालीन लाभ मिलने की संभावना है। कुल मिलाकर, धमतरी जिले में फसल चक्र परिवर्तन न केवल किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, बल्कि यह जल संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य सुधार और कृषि को जलवायु-अनुकूल बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण पहल साबित हो रही है। जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग के निरंतर सहयोग से यह प्रयास आने वाले वर्षों में जिले की कृषि अर्थव्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होगा।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

Share this story