निजी भूमि में शव दफनाने पर रोक लगाने सर्व आदिवासी समाज ने सौंपा ज्ञापन

निजी भूमि में शव दफनाने पर रोक लगाने सर्व आदिवासी समाज ने सौंपा ज्ञापन
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निजी भूमि में शव दफनाने पर रोक लगाने सर्व आदिवासी समाज ने सौंपा ज्ञापन


जगदलपुर, 21 मई (हि.स.)। सर्व आदिवासी समाज व जनजाति सुरक्षा मंच ने निजी भूमि में शव दफनाने पर रोक लगाने की मांग की है।जनजाति सुरक्षा मंच के प्रदेश संयोजक और कांकेर लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी भोजराज नाग तथा सर्व आदिवासी समाज के प्रदेशाध्यक्ष राजाराम तोड़ेम, जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने इस संबंध में कलेक्टर को मंगलवार को ज्ञापन सौंपा ।

जिला कार्यालय पहुंचकर बस्तर कलेक्टर से मुलाकात कर बताया कि धर्मांतरण करने वाले संगठनों के द्वारा न्यायालय को अनुचित जानकारी देकर धर्मांतरित लोगों के शवों को निजी भूमि में दफनाने का आदेश प्राप्त किया है, जो कि पांचवी अनुसूची के तहत आदिवासी समाज को प्राप्त अधिकारों का हनन करती है। बस्तर क्षेत्र में आदिवासी रूढ़िप्रथा परम्परा के अनुसार ही शव दफन किया जा सकता है। सर्व आदिवासी समाज ने कलेक्टर से अपील करते हुए कहा कि वह तत्काल बस्तर जिले में निजी भूमि पर शव दफनाने पर रोक लगाए।

जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक भोजराज नाग ने कहा कि बस्तर में 05 वीं अनुसूची और पेसा कानून लागू है और यहां आदिवासी समाज को विशेष शक्तियां प्राप्त है। यहां आदिवासी संस्कृति और रूढ़िप्रथा परम्परा है जिसको धर्मांतरित लोगों द्वारा नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि धर्मांतरित लोगों ने न्यायालय को भ्रमित कर निजी भूमि पर शव दफनाने का आदेश प्राप्त किया था, जबकि यह जांच का विषय था कि धर्मांतरित व्यक्ति ने कब धर्मांतरण किया और किस चर्च से संबधित था। नियमानुसार उसे उसी चर्च के मरघट में दफनाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि गांव में रुढ़ी प्रथा और आदिवासी संस्कृति के अनुसार अंतिम क्रिया पर किसी तरह की रोक नहीं है।उन्होंने शीघ्र ही इस मामले को न्यायालय में चुनौती और धर्मांतरित लोगों के डिलिस्टिंग की मांग की बात कही।

सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम तोड़ेम ने कहा कि पांचवी अनुसूची और पेसा कानून लागू क्षेत्रों को विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं। न्यायालय ने निजी भूमि में शव दफनाने का आदेश मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर किया है। जिसका धर्मांतरण कराने वाली मिशनरियां गलत लाभ उठा रही हैं।अगर निजी भूमि पर शव दफनाने दिया गया तो गांव के अधिकांश घरों में मरघट होगा । धर्मांतरण करने वाले लोग गांव को मरघट बनाना चाहते है। सर्व आदिवासी समाज जल्द ही न्यायालय में इसके विरुद्ध पिटीशन दाखिल करेगा।

सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष दशरथ कश्यप ने कोंडागांव में गोंडवाना समाज के अध्यक्ष बुधसननंद नेताम की कोंडागांव कलेक्टर द्वारा जिला बदर की कार्रवाई की निंदा की ।उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज वैसे भी प्रताड़ित है और प्रशासनिक प्रताड़ना का भी शिकार हो रहा है। आदिवासी नेताओं पर गैर कानूनी तरीके से जिला बदर जैसी कार्रवाई की जा रही है। जिसका सर्व आदिवासी समाज निंदा और विरोध करता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे/केशव

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