धमतरी : जिले में रबी फसल की तैयारी शुरू, तैयार हो रही धान की नर्सरी

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धमतरी : जिले में रबी फसल की तैयारी शुरू, तैयार हो रही धान की नर्सरी


धमतरी, 26 दिसंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में रबी फसल की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए बकायदा खेत तैयार कर धान की नर्सरी तैयार की जा रही है। पखवाड़े भर बाद धान की रोपाई भी शुरू हो जाएगी।

सिंचाई साधन संपन्न किसानों ने इन दिनों रबी फसल के रूप में धान की पैदावार लेने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। धान की नर्सरी भी तैयार की जा रही है। शहर से लगे हुए ग्राम लोहरसी, पोटियाडीह, अर्जुनी, खपरी, भानपुरी, देमार, श्यामतरी, मुजगहन, खरतुली, कुर्रा, कोर्रा सहित अधिकांश गांव के खेतों में धान की रोपाई के लिए धान की नर्सरी तैयार की जा रही है। पखवाड़े भर बाद इसकी रोपाई भी शुरू हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले साल शासन ने भूजल के गिरते स्तर को देखते हुए किसानों से रबी फसल के रूप में धान की बजाय दलहन- तिलहन की फसल लगाने की अपील किसानों से की थी जिसका सार्थक असर भी देखने को मिला। अधिकांश किसानों ने धान की फसल छोड़ दलहन- तिलहन की फसल लगाई थी। जिसमें पानी की खपत कम होती है। धमतरी जिले का जलस्तर भी बढ़ गया। सिंचाई सम्पन्न किसानों ने रबी फसल में धान की पैदावार लेने की तैयारी शुरू कर दी है। ग्राम पोटियाडीह के संतोष देवांगन, कोमल देवांगन, राम साहू, प्रेमकुमार देवांगन ने बताया कि मोटर पंप की सुविधा होने के कारण कई किसानों ने रोपाई के लिए धान की नर्सरी की तैयारी शुरू कर दी है। थरहा के रोपाई योग्य होते ही रोपाई शुरू कर दी जाएगी। ग्राम कोर्रा के वेदप्रकाश साहू, खूबलाल साहू ने बताया कि खरीफ फसल की तुलना में रबी फसल में धान का उत्पादन अधिक मिलता है, क्योंकि तेज गर्मी के कारण धान फसल में लगनेवाली कई प्रकार की कीटव्याधि रबी फसल में देखने को नहीं मिलती।

फसल चक्र परिवर्तन से बढ़ती है जमीन की उर्वराशक्ति

कृषि विभाग के उपसंचालक मोनेश कुमार सह ने कहा कि जिले में भूजल के गिरते स्तर को देखते हुए किसानों को धान की जगह रबी फसल के रूप में दलहन तिलहन उत्पादन लेना चाहिए, क्योंकि धान की फसल के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। फसल चक्र परिवर्तन से जमीन की उर्वराशक्ति भी बढ़ती है। इसके लिए जिले के किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है।

कृषि विभाग ने तय किया रबी फसल का रकबा:

इस साल रबी फसल के रूप में गेहूं उत्पादन के लिए 500 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया। इसमें 496 हेक्टेयर में गेहूं की बोआई हो चुकी है। इस तरह लक्ष्य की पूर्ति 82.66 प्रतिशत हो गया है। मक्का के लिए 1500 हेक्टेयर प्रतावित लक्ष्य है। इसमें से 13.7 प्रतिशत मक्के की - बोआई हो चुकी है। ग्रीष्मकालीन धान के लिए 1500 हेक्टेयर का लक्ष्य है। इसमें से अभी तक 255 हेक्टेयर में - नर्सरी लगाया गया है। इस तरह लक्ष्य की पूर्ति 1.71 प्रतिशत हो पाई। चना फसल के लिए प्रस्तावित लक्ष्य 17000 हेक्टेयर है। इसमें से अभी तक 3565 हेक्टेयर में चने की फसल - लग गयी है। 20.97 प्रतिशत लक्ष्य - की पूर्ति हो गई है। मटर फसल के लिए 150 हेक्टेयर का - लक्ष्य रखा गया है। मटर फसल के लिए 1222 हेक्टेयर में लक्ष्य की पूर्ति हो गई है। मसूर, मूंग, उड़द, कुल्थी, तिवड़ा, सरसों, अलसी, कुसुम, सूर्यमुखी, तिल, मुंगफली की फसल ली जा रही है।

जिले के बांधों में पर्याप्त पानी:

धमतरी जिले के बांधों में पर्याप्त पानी है। गंगरेल बांध में 94.14 प्रतिशत, माड़मसिल्ली बांध में 93.39 प्रतिशत, दुधावा बांध में 94.84 प्रतिशत, सोंदूर बांध में 74.69 प्रतिशत पानी है।

धमतरी कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने कहा है कि गंगरेल बांध में इस साल पर्याप्त पानी है। जिले के किसानों की रूचि दलहन-तिलहन की ओर ज्यादा है। इस साल दलहन-तिलहन का एरिया डबल हो रहा है। पिछले वर्ष से इस बार दलहन फसल में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि बांधों से पानी के लिए कोई डिमांड अभी नहीं आया है। कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने कहा कि इस बार गर्मी के दिनों रबी फसल धान के लिए पानी नहीं देने पर पेयजल और निस्तारी के लिए पर्याप्त पानी रहेगा। बांधों में पानी रहने से जनजीवन के लिए सुविधा होगी।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

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