पोला पर्व: खूब बिके नांदिया बैल और मिट्टी के खिलौने

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पोला पर्व: खूब बिके नांदिया बैल और मिट्टी के खिलौने


धमतरी, 1 सितंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ में उत्साह के साथ मनाया जाने वाला पर्व पोला को लेकर उत्साह का माहौल है। यह पर्व इस साल दो सितंबर को मनाया जाएगा। पोला पर्व को लेकर सप्ताह भर पहले से ही खरीददारी चल रही थी। पर्व के एक दिन पूर्व रविवार को शहर में काफी भीड़ रही। शहर के घड़ी चौक, गोलबाजार, इतवारी बाजार, रामबाग क्षेत्र में मिट्टी के बैल, पोरा, जांता, दीया सहित अन्य रंगबिरंगी सामग्री खरीदने लोगों की भीड़ लगी रही।

पोला पर्व मुख्य रूप से कृषि में पशुओं की निर्भरता को दर्शाता है, साथ ही पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है। बच्चे मिट्टी के खिलौनों से खेल कर खेल-खेल में ही जीवन का संदेश सीखते हैं। कुम्हारपारा के मूर्तिकार जीवन कुंभकार, मीलूराम कुंभकार ने बताया कि इस वर्ष मिट्टी के बैल जोड़ी की कीमत 80 रुपये से लेकर 100 एवं 150 रुपये में बेंच रहे हैं। पोरा- जांता 100 से 150 रुपये सेट है। दीया 100 से 150 रुपये सैकड़ा बिक रहा है। दूरदराज के ग्रामीण सामान खरीदने शहर पहुंचे। लकड़ी के खिलौने व बैल जोड़ी की भी डिमांड रही। भखारा क्षेत्र से पहुंची सुमित्रा विश्वकर्मा ने बताया कि वे हर साल सामान बेचने शहर पहुंचती हैं। इस बार भी वे सप्ताह भर से रामबाग क्षेत्र में पसरा लगाकर व्यापार किया। महंगाई के कारण लकड़ी के बैलों की कीमत इस बार बढ़ी है। सिंगल जोड़ी बैल की कीमत 50 रुपये हैं। डिजाइनर बैलों की कीमत 200 रुपये तक है। ग्राहक अपनी पसंद के अनुसार खरीद रहे हैं।

विप्र विद्वत परिषद के मीडिया सलाहकार पं. राजकुमार तिवारी ने बताया कि इस वर्ष दो सितम्बर भाद्रपद कृष्ण पक्ष सोमवती अमावस्या दिन सोमवार को पोला त्योहार एंव छह सितंबर शुक्रवार हरितालिका तीज व्रत पर्व मनाया जाएगा। सात सितम्बर को गणेश चतुर्थी गणेश स्थापना किया जायेगा। आठ सितंबर को ऋर्षि पंचमी का पर्व मनाया जायेगा। विदित है कि पोला का त्यौहार छत्तीसगढ़ में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भाद्रपद की अमावस्या को यह पोला का त्योहार मनाया जाता है। त्योहार के बारे में यह महत्व है कि इस दिन अन्नपूर्णा माता गर्भ धारण करती है। खेती कार्य में सबसे ज्यादा योगदान देने वाला बैल होता है। इस दिन पशुधन बैल को स्नान कराकर उसे सजाया जाता है। मिट्टी के बने पोला मिट्टी के खिलौने का भी पूजा करने का विशेष विधान है। पर्व का निर्णय विप्र विद्वत परिषद के पंडितों के द्वारा देव पंचांग के अनुसार लिया गया है। परिषद ने अपील किया है कि त्योहार पर्व को दिए गए तिथियों के अनुसार मनाएं। किसी प्रकार से भ्रमित न हों।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

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