न राहत, न रियायत, आम जनता की अपेक्षा के विपरीत बजट

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न राहत, न रियायत, आम जनता की अपेक्षा के विपरीत बजट


बजट में बेलगाम महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक असमानता से निपटने कोई रोड-मैप नहीं

रायपुर, 1 फ़रवरी (हि.स.)। केंद्रीय बजट 2024 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा है कि पिछले नौ सालों की तरह इस साल का चुनावी बजट भी पूरी तरह से झूठे सपने, जुमले और झांसे का बजट साबित हुआ है। यथार्थ में आम जनता को किसी भी तरह की कोई राहत या वस्ताविक रियायत नहीं दी गई है, फिर भी राजकोषीय घाटा अनियंत्रित है। मोदी 2.0 का यह अंतिम बजट देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में ले जाने वाला बजट है। आयकर की दरों में राहत नहीं मिलने से मध्यम वर्ग भी निराश हुआ है।

दीपक बैज ने कहा है कि पुरानी झूठ को एक बार फिर से परोसा गया है कि सात लाख तक आयकर में छूट रहेगी, जबकि हकीकत यह है कि पिछले बजट में ही नए टैक्स रिजीम के तहत केवल सात लाख के भीतर आय वालों को टैक्स में छूट दी गई, ना की बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट बढ़ाया गया है। नए टैक्स रिजिम में किसी भी तरह की कटौती का प्रावधान नहीं है। असलियत यह है कि आयकर के लिए बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट आज भी ढाई लाख ही है पिछले 10 साल से एक रुपये भी नहीं बढ़ाया गया है। बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट और टैक्स रिबेट में अंतर है, टैक्स रिबेट का लाभ है लिमिट क्रॉस होने पर खत्म हो जाती है जबकि बेसिक एक्जंपप्शन लिमिट बढ़ाये जाने का लाभ प्रत्येक करदाता को मिलता।

दीपक बैज ने कहा कि केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में जनकल्याणकारी योजनाएं नहीं है खाद सब्सिडी, खाद्य सब्सिडी, मनरेगा, एमएसपी की गारंटी, स्वामीनाथन कमेटी के अनुसार एमएसपी और सामाजिक सुरक्षा के मद में कोई विशेष प्रावधान नहीं है। अंतरिम बजट आगामी तीन माह के लिए है, लेकिन आने वाले पांच सालों के लिए कहा गया है कि आगामी पांच वर्षों में दो करोड़ घर बना कर देंगे? मंहगाई, बेरोजगारी और बढ़ती आर्थिक असमानता से निपटने का कोई रोड मैप नहीं है।

दीपक बैज ने कहा कि केंद्र सरकार में आम जनता का खून चूस कर 10 साल में टैक्स कलेक्शन तीन गुना बढ़ गया है। डीजल पर सेंट्रल एक्साइज 2014 में मात्र तीन रुपये 54 पैसा प्रति लीटर था, जो वर्तमान में 19 रुपये 90 पैसा है, अर्थात लगभग 6 गुना अधिक। केंद्र सरकार ने केवल पेट्रोलियम उत्पाद से ही विगत 9 साल में 36 लाख करोड़ से अधिक की कमाई की है। 30 बड़े सार्वजनिक उपक्रम बेच दिए फिर भी देश पर कुल कर्ज का भार 54 लाख करोड़ से बढ़कर 105 लाख करोड़ हो गया। इस बजट में डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस सिलेंडर पर कोई राहत देने का इरादा केंद्र सरकार का नहीं है।

हिन्दुस्थान समाचार/ चंद्रनारायण शुक्ल

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