70 से अधिक विशेषज्ञ कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों का करेंगे सर्वे
जगदलपुर, 20 फरवरी(हि.स.)। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों की प्रजातियों का सर्वे, बर्ड काउंट इंडिया और बर्ड एंड वाइल्डलाइफ छत्तीसगढ़ के साथ मिलकर यह सर्वे 25 से 27 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के प्राकृतिक रहवास में वन्यजीव और पक्षियों की विविधता को देखते हुए यह सर्वे किया जा रहा है। 200 वर्ग किलोमीटर के विस्तार वाले इस राष्ट्रीय उद्यान में पेड़-पौधे और जीव जंतुओं का विविध आकर्षण है, जो एक सहज और सामंजस्यपूर्ण पर्यावरण बनाए रखता है। यहां की जैव विविधता का संगम प्राकृतिक सौंदर्य को और भी बढ़ाता है। साथ ही यहां आस-पास रहने वाले स्थानीय आदिवासी समुदाय इस राष्ट्रीय उद्यान के संरक्षण में अपनी भूमिका निभाने से कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान देश में अपनी विशेष पहचान बनाता है।
इस पक्षी सर्वे कार्य में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना ,आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान राज्यों से 70 से भी अधिक पक्षी विशेषज्ञ, रिसर्चर व वालंटियर शामिल हो रहे हैं, जो कांगेर घाटी के अंतर्गत पक्षी अध्ययन के लिए अपना योगदान देंगे। पार्क में मैना मित्र योजना संचालित हैं, जिसमें स्थानीय युवा और गांव के सदस्य पक्षियों के संरक्षण में सक्रिय रूप से भागीदारी दे रहे हैं। इसके अलावा इको विकास समिति के सदस्य भी सहयोग प्रदान कर रहे हैं, जिससे सामुदायिक सहयोग के साथ प्राकृतिक संरक्षण में सुधार हो रहा है। यह उल्लेखनीय भी है कि छत्तीसगढ़ राज्य के राजकीय पक्षी बस्तर पहाड़ी मैना अब राष्ट्रीय उद्यान से लगे 15 से अधिक ग्रामों में दिखाई देने लगी हैं।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि पिछले वर्ष भी पक्षियों का अध्ययन किया गया था, जिसमें 201 पक्षियों की प्रजातियां की पहचान की गई थी, जिसमें पहाड़ी मैना, ब्लैक हुडेड ओरियोल, भृंगराज, जंगली मुर्गी, कठफोड़वा, रैकेट टेल, सरपेंटाईगर आदि शामिल हैं। इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो रहा है कि राष्ट्रीय उद्यान पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होने कहा कि देश के पक्षी प्रेमियों के लिए एक बर्डिंग हॉटस्पॉट के रूप में उभर कर आ रहा है। इस सर्वे कार्य से राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न पक्षियों के प्रजातियां की पहचान के साथ-साथ विशिष्ट पक्षियों के प्रजातियों के आपसी संबंध और रहवास के बारे में जानकारी प्राप्त होगी, जिससे हमें आगे पक्षियों के संरक्षण योजना में मदद मिलेगी।
हिन्दुस्थान समाचार, राकेश पांडे
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