विधायक जाति प्रमाणपत्र मामला फिर टला: अब 29 जनवरी 2026 को होगी सुनवाई

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विधायक जाति प्रमाणपत्र मामला फिर टला: अब 29 जनवरी 2026 को होगी सुनवाई


विधायक जाति प्रमाणपत्र मामला फिर टला: अब 29 जनवरी 2026 को होगी सुनवाई


बलरामपुर, 29 दिसंबर (हि.स.)। प्रतापपुर से भाजपा विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के कथित फर्जी जाति प्रमाणपत्र प्रकरण में आज साेमवार काे होने वाली बहुप्रतीक्षित सुनवाई एक बार फिर टल गई। कर्मचारियों की हड़ताल के चलते जिला स्तरीय सत्यापन समिति के सदस्य उपस्थित नहीं हो सके, जिसके कारण कार्यवाही नहीं हो पाई। अब समिति अध्यक्ष ने अगली सुनवाई की तारीख 29 जनवरी 2026 तय की है। फैसले में हो रही देरी से आदिवासी समाज में असंतोष और गहराता जा रहा है।

प्रतापपुर विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के कथित फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में आज जिला स्तरीय सत्यापन समिति के समक्ष सुनवाई प्रस्तावित थी, लेकिन कर्मचारियों की हड़ताल के कारण समिति के सदस्य मौजूद नहीं हो सके। इस वजह से सुनवाई टाल दी गई और अब अगली तारीख 29 जनवरी 2026 निर्धारित की गई है।

विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता बृजेंद्र पाठक ने बताया कि प्रारंभिक आपत्ति पहले ही प्रस्तुत की जा चुकी है, जिस पर आज तर्क होना था। लेकिन कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण समिति के सदस्य उपस्थित नहीं थे, इसलिए सुनवाई संभव नहीं हो सकी। समिति अध्यक्ष द्वारा अब अगली सुनवाई 29 जनवरी 2026 को रखी गई है।

वहीं सर्व आदिवासी समाज की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता जे.पी. श्रीवास्तव ने कहा कि सत्यापन समिति के अध्यक्ष, जो कि अपर कलेक्टर हैं, द्वारा आज सुनवाई की जानी थी। लेकिन कर्मचारियों के अभाव में तारीख बढ़ा दी गई। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जाति प्रमाणपत्र विवाद से जुड़े प्रकरण में शीघ्र निर्णय लिया जाए। आदेश में 30 दिन के भीतर निर्णय देने का उल्लेख है। पीठासीन अधिकारी ने यह भी कहा है कि दोनों पक्ष अपने-अपने तर्क लिखित रूप में प्रस्तुत करें, जिसके बाद एक सप्ताह के भीतर निर्णय दिया जाएगा।

जेपी श्रीवास्तव ने अपने तर्क दोहराते हुए कहा कि विधायक का जाति प्रमाणपत्र पूरी तरह फर्जी है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किन दस्तावेजों के आधार पर यह प्रमाणपत्र बनाया गया, जबकि संबंधित कागजात प्रस्तुत करने से बचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जाति प्रमाणपत्र हमेशा पिता के नाम से बनता है, पति के नाम से नहीं। जबकि विधायक का प्रमाणपत्र पति के आधार पर बनाया गया है, जो कानूनन अवैध है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि अनुसूचित जनजाति की पात्रता नहीं रखने वाले लोग उस श्रेणी में शामिल हो जाएंगे, तो वास्तविक अनुसूचित जनजाति समुदाय के अधिकारों का क्या होगा।

इस मामले में आंदोलन की अगुवाई कर रहे अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि आज की तारीख केवल कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण बढ़ी है। अब 29 जनवरी अगली तारीख तय की गई है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि उस दिन समाज को संतोषजनक निर्णय नहीं मिला, तो इसके बाद उग्र आंदोलन किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले 11 दिसंबर को भी निर्णय सुरक्षित रखते हुए सुनवाई टाल दी गई थी, जिसके बाद आदिवासी समाज ने चक्का जाम और विरोध प्रदर्शन किया था। लगातार टलते फैसले के चलते जिले में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है और अब सभी की निगाहें 29 जनवरी 2026 को होने वाली सुनवाई और संभावित निर्णय पर टिकी हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय

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