जीवन को संस्कारित करने वाला पवित्र संस्कार है विवाह: पं. अतुल कृष्ण महाराज

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जीवन को संस्कारित करने वाला पवित्र संस्कार है विवाह: पं. अतुल कृष्ण महाराज


जीवन को संस्कारित करने वाला पवित्र संस्कार है विवाह: पं. अतुल कृष्ण महाराज


धमतरी, 28 दिसंबर (हि.स.)। शहर में आयोजित श्रीराम कथा के पंचम दिवस पर जनकपुर की दिव्य झांकी, सीता स्वयंवर और श्रीराम–जानकी विवाह प्रसंग का भव्य एवं भावपूर्ण मंचन किया गया। कथा के दौरान श्रद्धालु भक्ति और उल्लास में डूबे नजर आए।

व्यासपीठ से प्रख्यात कथावाचक पं. अतुल कृष्ण महाराज ने कथा का सजीव वर्णन करते हुए सनातन संस्कृति, आदर्श शासन व्यवस्था और विवाह संस्कार की मर्यादा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा में विवाह केवल सामाजिक आयोजन नहीं, बल्कि जीवन को संस्कारित करने वाला पवित्र संस्कार है। इसकी मर्यादाओं को आत्मसात करना ही सच्चा धर्म है। जनकपुर के वैभव और राजा जनक के आदर्श चरित्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जहां राजा धर्मात्मा, न्यायप्रिय और परमार्थी होता है, वहां की प्रजा स्वतः श्रेष्ठ बन जाती है। राजा जनक का जीवन तप, त्याग और विवेक का प्रतीक था, इसी कारण उनके घर जगतजननी माता जानकी का प्राकट्य हुआ। यह प्रसंग इस बात का प्रमाण है कि शासक का आचरण ही समाज की दिशा तय करता है।

भगवान श्रीराम के स्वयंवर हेतु जनकपुर आगमन की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब संतान कोई महान कार्य करती है, तब संसार स्वयं उसके सामने नतमस्तक हो जाता है। ऐसे क्षण माता-पिता और गुरुजनों के लिए गौरवपूर्ण होते हैं। भगवान श्रीराम के रूप, शील, सरलता, मर्यादा और करुणा को उन्होंने मानव जीवन के लिए शाश्वत आदर्श बताया। माता जानकी के रूप और सौंदर्य का वर्णन करते हुए पं. अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि मन को सुंदर सदन बनाना ही सच्ची साधना है। यदि माता सीता के सत्यम, शिवम और सुंदरम के आदर्शों को आत्मसात कर लिया जाए, तो मानव जीवन स्वर्गमय बन सकता है।

कथा के दौरान पुष्प वाटिका में भगवान श्रीराम और माता सीता की प्रथम भेंट, धनुष यज्ञ और सीता स्वयंवर का भावपूर्ण वर्णन किया गया। श्रीराम–जानकी विवाह महोत्सव को बाजे-गाजे, मंगल गीतों और जयघोष के साथ मनाया गया, जिससे पूरा पंडाल भक्तिमय वातावरण में परिवर्तित हो गया। कथा को वर्तमान समय से जोड़ते हुए गुरु गोविंद सिंह के त्याग, तपस्या और बलिदान का स्मरण कराया गया। उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा और समाज की एकता के लिए त्याग आवश्यक है। भक्ति के मार्ग से ही रामराज्य की स्थापना संभव है और इसी से भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा। इस अवसर पर आयोजन समिति की ओर से पं. राजेश शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में सनातन संस्कृति के समक्ष अनेक चुनौतियां हैं। ऐसे में समाज में एकता, सद्भावना और धर्म के प्रति आस्था जागृत करना ही कथा आयोजन का उद्देश्य है।

इस अवसर पर गोपाल शर्मा, जितेंद्र शर्मा, राजेश शर्मा, प्रताप राव कृदत्त, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष रंजना साहू, जानकी वल्लभ महाराज, श्याम अग्रवाल, इंदर चोपड़ा, भरत मटियारा, रंजना साहू, दिलीप राज सोनी, राजेंद्र शर्मा, योगेश गांधी, डॉ प्रभात गुप्ता, डॉ एन.पी. गुप्ता, डॉ जे.एल. देवांगन, अर्जुन पुरी गोस्वामी, दयाराम साहू, विजय सोनी, अशोक पवार, बिथिका विश्वास, शशि पवार, कविंद्र जैन, गोलू शर्मा, प्रकाश शर्मा, विकास शर्मा, नरेश जसूजा, नरेंद्र जायसवाल, कुलेश सोनी, पिंटू यादव, राजेंद्र गोलछा, महेंद्र खंडेलवाल, दीप शर्मा, देवेंद्र मिश्रा, विजय शर्मा, बिट्टू शर्मा, खूबलाल ध्रुव, संजय तंबोली, प्रदीप शर्मा, मालकराम साहू, मनीष मिश्रा, सूरज शर्मा, लक्की डागा, योगेश रायचुरा, अंजू पवन लिखी, हर्षा महेश्वरी, सुमन ठाकुर, डॉली सोनी, भारती साहू, हिमानी साहू, आशा लोधी, प्रभा मिश्रा, भारती खंडेलवाल, अनिता सोनकर सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

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