मन में आ जाए क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार की भावनाएं तो करें भजन:पंडित कालेश्वर प्रसाद तिवारी
धमतरी, 28 नवंबर (हि.स.)। बनियापारा वार्ड के गौरा चौरा के पास आयोजित संगीतमय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह में भगवताचार्य पंडित कालेश्वर प्रसाद तिवारी जेजरा राजिम वाले ने कहा कि सदैव हमें संतों की शरण में जाकर भगवान का भजन करना चाहिए, क्योंकि भगवान का स्मरण करने से मन पवित्र होता है, साथ ही घर का कोई भी धार्मिक आयोजन हो उसे स्वयं आगे होकर सभी कार्य को हमें स्वयं करना चाहिए, क्योंकि स्वयं कार्य करने से पुण्य की प्राप्ति हमें स्वयं मिलेगी। अगर मन में किसी प्रकार का क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार की भावनाएं आ जाए तो हमें कुछ समय निकालकर प्रभु की भक्ति में लीन रहना चाहिए, जिससे हमारे मन के विकार का नाश हो जाता है।
उन्होंने कहा कि तप साधना करने से जीवन में दिव्यता आती है। दुर्लभ मानव तन के द्वारा हरि की भक्ति करनी चाहिए। केवल और केवल हरि ही हमारा है। परम धर्म कहता है कि संसार से आसक्ति हटाकर गोंविद का ध्यान करें। भागवत कथा श्रवण में बड़े-बड़े महापापी भी मुक्त हो जाते हैं। बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। प्रतिदिन हमें समय निकालकर प्रभु का भजन करना चाहिए। भागवत में परम धर्म का निरूपण व्यास जी ने किया है। प्रभु की कथाओं को श्रवण कर अपने जीवन उपदेश में स्वीकार करें, जिससे हमारा जीवन सफल हो। शरीर में जब तक प्राण है तब तक कथा सुननी चाहिए। ब्रह्मा की उत्तम सृष्टि मनुष्य है। गोविंद के श्रीचरणों का आश्रय लेना चाहिए। चरण, शरण ग्रहण करना ही परम धर्म है। कथा प्रतिदिन दोपहर ढाई बजे से साढ़े पांच बजे तक जारी है। कथा का आयोजन मां पाताल भैरवी महिला मंडल समिति एवं वार्डवासियों ने किया है। कथा का समापन 30 नवंबर को होगा।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा
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