अंबिकापुर: पूजा का प्रसाद बना डर की वजह, रेबीज की आशंका से गांव में मचा हड़कंप
अंबिकापुर, 31 दिसंबर (हि.स.)। सरगुजा जिले के अंबिकापुर शहर से सटे सरगंवा गांव में 28 दिसंबर 2025 को आयोजित पारंपरिक ‘निकाली पूजा’ के दौरान हुई एक घटना ने पूरे गांव को दहशत में डाल दिया। पूजा में बलि दिए गए बकरों में से एक बकरे को करीब चार महीने पहले एक पागल कुत्ते द्वारा काटे जाने की जानकारी सामने आने के बाद हड़कंप मच गया। आरोप है कि इसी बकरे की बलि देकर उसका मांस प्रसाद के रूप में गांव के लगभग 350 से ज्यादा ग्रामीणों को परोसा गया, जिससे रेबीज संक्रमण की आशंका को लेकर लोग सहम गए।
जानकारी सामने आते ही ग्रामीणों में भय का माहौल बन गया। कई लोगों ने इसे गंभीर लापरवाही बताया और सरपंच नारायण प्रसाद तथा उपसरपंच कृष्णा सिंह पर आरोप लगाया कि उन्हें बकरे को कुत्ते के काटने की जानकारी थी, इसके बावजूद बलि करवाई गई। खबर फैलते ही गांव में अफरा-तफरी मच गई और लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित नजर आए।
मामले की गंभीरता को देखते हुए बुधवार को स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाकर स्थिति को संभाला। शिविर में पहुंचे डॉक्टर शैलेंद्र गुप्ता ने प्रसाद के रूप में मांस का सेवन करने वाले ग्रामीणों की जांच की और उन्हें आवश्यक परामर्श दिया। डॉ. गुप्ता ने स्पष्ट किया कि रेबीज एक 100 प्रतिशत घातक बीमारी जरूर है, लेकिन इस मामले में घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि संबंधित बकरे को कुत्ते के काटने के चार महीने बाद भी उसमें रेबीज के कोई लक्षण नहीं थे, जबकि आमतौर पर रेबीज के लक्षण जानवरों में 1 से 3 महीने के भीतर दिखाई देने लगते हैं।
डॉक्टरों के अनुसार बकरा पूरी तरह स्वस्थ और सामान्य था, इसलिए उसके संक्रमित होने की संभावना नहीं मानी जा सकती। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में फैली भ्रांतियों को दूर किया और सभी लोगों को आश्वस्त किया। शिविर के दौरान मांस का सेवन करने वाले सभी ग्रामीणों की जांच सुनिश्चित की गई और जरूरी सलाह दी गई। विभाग की स्पष्टता के बाद गांव में फैली दहशत काफी हद तक कम हुई और लोगों ने राहत की सांस ली।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारस नाथ सिंह

