कुरुद के मां चंडी मंदिर में हुआ हवन-पूजन
धमतरी, 11 अक्टूबर (हि.स.)। शारदीय नवरात्र के पावन पर्व में नगर के आराध्य देवी मां चंडी माता में अष्टमी तिथि पर शुक्रवार 11 अक्टूबर को शुभ मुहूर्त में देवी की विशेष पूजा अर्चना कर हवन पूजन किया गया। जिसमें श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
नगर की आराध्य देवी मां चंडी मंदिर में सर्वप्रथम अष्टमी के दिन हवन किया जाता है उसके बाद दूसरे दिन नवमीं को नगर भर में विराजित माता ज्योति कलश एवं दुर्गा पंडालों में हवन किया जाता है। यह परंपरा यहां कई वर्षों से चली आ रही है। कुरुद नगर में दसमीं के दिन दशहरा उत्सव के पश्चात दुर्गा विसर्जन किया जाता है। नगरवासियों द्वारा नगर की आराध्य देवी मां चंडी को प्रथम सम्मान देने के लिए कई वर्षों से ऐसा करते आ रहे हैं। नगर के जानकार लोगों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक एक मराठा जमीदार बांका बाई ने मां चंडी मंदिर में अष्टमी को हवन की शुरुआत की थी तत्पश्चात बांकी स्थान में हवन किया जाता है, चंडी मंदिर का ज्योति कलश एवं जंवारा का विसर्जन यात्रा गांधी चौक से होते हुए जलसन तालाब तक जाती है। विधि- विधान से विसर्जन किया जाता है। यह विसर्जन यात्रा बीरसिंग बैगा एवं मराठा जमीदार बांका बाई के द्वारा निकाली जा रही थी, लेकिन अब कुछ वर्षों से नगर के चंद्राकर बंधुओ द्वारा निकाली जा रही है। पूर्व में सबसे पहले जमी दार बांका बाई के द्वारा जोत जंवारा विसर्जन के बाद द्वारा मां चंडी मंदिर में नारियल तोड़ा जाता था। अब यह कार्य बांका बाई के सम्मान में विसर्जन के बाद चंडी मंदिर में बांका बाई के नाम से प्रथम नारियल मां चंडी मंदिर में तोड़ा जाता है। उसके बाद नगर के लोग चंडी मंदिर में नारियल तोड़ते हैं अब यह कार्य चंद्राकर परिवार द्वारा किया जाता है। कुरुद नगर के लोग मां चंडी को प्रथम सम्मान देने के लिए मां चंडी के हवन के पश्चात ही नगर में विराजित मां दुर्गा की प्रतिमाओं एवं घर-घर में ज्योति कलश एवं जंवारा का हवन करते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा
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