हसदेव अरण्य में रोक के बावजूद हो रही जंगल की कटाई तत्काल रोका जाये : डॉ महंत
रायपुर, 6 जून (हि.स.)।छत्तीसगढ़ विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने आज गुरुवार छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में हसदेव अरण्य कोल फील्ड के सभी कोल ब्लॉक से उत्खन्न एवं वृक्षों के विरोहन की गतिविधियों को रोक लगाने एवं कूट रचित उत्तरदायित्व व्यक्तियों के खिलाफ अपराध पंजीबद करने के निर्देश देने आग्रह किया है।
विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने पत्र के माध्यम से अवगत कराते हुए लिखा है कि, छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा परसा कोल ब्लॉक मे उत्खनन हेतु आवश्यक अनुमतियां हासिल करने के लिए फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव पास करने के ग्रामीणों के आरोपों की जांच की गई हैं। इस जांच में आयोग ने ग्राम सभा की फर्जी कार्यवाही के आरोपों को प्राथमिक रूप से सही पाते हुए परसा कोल ब्लॉक में खनन हेतु कोई भी अग्रिम कार्यवाही न करते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिनांक 30 मई 2024 को किया है।
श्री महंत ने पत्र में जानकारी दी है कि ग्राम सभाओं की बैठकों में प्रस्ताव प्रस्तुत किए बिना तथा प्रस्ताव पारित हुए बिना ही कूट रचना करके कार्यवाही विवरणों में प्रस्ताव पारित होने का उल्लेख करना गंभीर आपराधिक मामला है जिसे षड़यंत्रपूर्वक अंजाम दिया गया है। इस कूट रचित कार्यवाही विवरण के कारण ही दो फरवरी .2022 के भारत सरकार द्वारा कोल ब्लॉक आबंटन रकबा 1136 हेक्टेयर (ग्राम परसा तथा केते) हेतु अनुमतियां दी गई। तेईस अक्टूबर .2021 को श्रीमती अनसूईया उईके, छत्तीसगढ़ के तत्कालीन राज्यपाल के द्वारा राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र प्रेषित करते हुए ग्राम सभाओं की कूट रचित कार्यवाहियों की जांच करने, प्रतिवेदन प्रस्तुत करने और जांच होने तक परसा कोल ब्लॉक में उत्खनन संबंधी कार्यवाहियों को रोक देने हेतु निर्देशित किया गया था, पत्र की प्रतिलिपि संलग्न है।
नेता प्रतिपक्ष ने बतया कि छत्तीसगढ़ विधान सभा में 26 जुलाई 2022 को सर्व सम्मति से यह अशासकीय संकल्प स्वीकृत किया गया था कि - ”इस सदन का मत है कि हसदेव क्षेत्र में आबंटित सभी कोल ब्लॉक रद्द किये जायें। सम्पूर्ण हसदेव अरण्य कोल फील्ड (जिसमें परसा कोल ब्लॉक शामिल है) पर संविधान की पांचवीं अनुसूची प्रभावी है और इसलिए इस क्षेत्र में पंचायत अनुबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा ) लागू है। इस अधिनियम की धारा 4 के खंड (ड.) के अनुसार यह आवश्यक है कि क्षेत्र की प्रत्येक ग्राम सभा के द्वारा सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं का अनुमोदन किया जाए। परंतु परसा कोल ब्लॉक के मामले में इसका पालन नहीं किया गया है। इसके अलावा भूमि का अर्जन करने तथा परियोजना से प्रभावित व्यक्तियों को फिर से बसाने या उनको पुनर्वासित करने के संबंध में भी धारा 4 के खंड (झ) का पालन नहीं किया गया है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली तथा उच्चतम न्यायालय के आदेशों के पालन में कार्यवाहियां करते हुए राज्य सरकार के द्वारा हसदेव अरण्य कोल फील्ड की जांच करवाई गई। इसका प्रतिवेदन राज्य सरकार को 2022 में प्राप्त हो चुका है, परंतु इस प्रतिवेदन की अनुशंसाओं की भी घोर उपेक्षा की जाकर राज्य के द्वारा कोयला उत्खनन की गतिविधियों को आगे बढ़ाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ विधान सभा सामान्य निर्वाचन, 2023 की मतगणना का परिणाम आने के पश्चात् और नई सरकार का गठन होने के पहले ही 11 दिसंबर 2023 को हसदेव अरण्य के उपरोक्त कोल फील्ड में 91.130 हेक्टेयर वन क्षेत्र में 15307 नग वृक्षों के विदोहन की अनुमति अधिकारियों के द्वारा अनाधिकृत रूप से जारी कर दी गई, जो अवैधानिक है। उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि, राज्य सरकार न तो संविधान का सम्मान कर रही है, न विधान सभा के संकल्प का सम्मान कर रही है, न अनुसूचित जनजातियों के हितों के प्रति गंभीर है, न ”पेसा “ के प्रावधानों का पालन कर रही है, और न वन क्षेत्रों के बायोडायवर्सिटी की चिंता है।
श्री महंत ने पत्र में बताया है कि राज्य सरकार का एक मात्र लक्ष्य है किसी भी दशा में कोयला का उत्खनन होने देना, जिससे किसी बाहरी कंपनी विशेष को अत्यधिक लाभार्जन होगा। प्रभावित हजारों वनवासियों के द्वारा लम्बी अवधि से कोयला उत्खनन के विरूद्ध आंदोलन किया जा रहा है। हसदेव अरण्य कोल फील्ड के अतिरिक्त ऐसे अनेक कोल ब्लॉक प्रदेश में हैं, जिनका आबंटन किया जा सकता है। अतः राज्य को और वनवासियों को अपूरणीय क्षति पहुंचाकर उसी क्षेत्र से कोयला उत्खनन किया जाना कतई आवश्यक नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहाहै कि ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो चुकी हैं कि राज्य के राज्यपाल महोदय इसमें तत्काल हस्तक्षेप करें और उनको प्रदत्त विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए हसदेव अरण्य क्षेत्र में स्थित विषयांकित कोल ब्लॉक तथा अन्य सभी कोल ब्लॉक से कोयला उत्खनन एवं वृक्षों के विदोहन की गतिविधियों पर रोक लगाएं।उन्होंने मांग की, कि ग्राम सभाओं की कूटरचित कार्यवाहियों के लिए उत्तरदायी व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने निर्देशित करें।
हिन्दुस्थान समाचार /केशव शर्मा
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