ग्रामीण क्षेत्र में गेड़ी के बिना हरेली तिहार अधूरा

WhatsApp Channel Join Now
ग्रामीण क्षेत्र में गेड़ी के बिना हरेली तिहार अधूरा


धमतरी, 1 अगस्त (हि.स.)। छत्तीसगढ़ सहित जिले में भी चार अगस्त को हरेली तिहार मनाया जायेगा। ग्रामीण क्षेत्र में गेड़ी के बिना हरेली तिहार अधूरा है। बच्चों के लिए बाजार में गेड़ी बिक्री का प्रचलन स्थान विशेष में होता था। गांव में लगभग सभी की जमीन होती है और वे किसान हैं। हरेली तिहार के दिन सुबह से ही तालाब के पनघट में किसान परिवार बड़े बुजुर्ग, बच्चे सभी अपने गाय बैल बछड़े को नहलाते हैं और खेती किसानी औजारों हल, कुदाली, फावड़ा को भी साफ कर घर के आंगन में पूजा के लिए सजाते हैं। माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं।

कृषि औजारों को धूप-दीप से पूजा के बाद नारियल, गुड़ का चीला का भोग लगाया जाता है। अपने- अपने घरों में आराध्य देवी देवताओं के मान्यता के अनुसार पूजा करते हैं। गांव के ठाकुर देव की पूजा की जाती है और उनको नारियल अर्पण करते हैं। गेड़ी चढ़कर ग्रामीण वर्षा ऋतु का स्वागत करतें है। वर्षा ऋतु में गांवों में सभी तरफ कीचड़ होता है, लेकिन गेड़ी चढ़कर कहीं भी आसानी से आया-जाया जा सकता है। गेड़यां बांस से बनाई जाती है। दो बांस में बराबरी दूरी पर कील लगाई जाती है। एक और बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उसे दो भागों में बांटा जाता है, उसे रस्सी से फिर से जोड़कर दो पउवा बनाया जाता है। यह पउवा असल में पैरदान होता है, जिसे लंबाई में पहले काटे गए दो बांस में लगाई गई कीलों के उपर बांध दिया जाता है। गेड़ी पर चलते समय रच-रच की ध्वनि निकलती है, जो वातावरण को और आनंददायक बना देती है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा / चन्द्र नारायण शुक्ल

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story