(फालोअप) झोपड़ी से नक्सलियों ने किया था विस्फोट, सड़क में छह फीट का हुआ गड्डा
जगदलपुर, 24 जून (हि.स.)। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाके में लंबे समय से लगातार हो रहे मुठभेड़ों में नक्सलियों को सुरक्षाबलों के जवान उनके मांद में घुस कर मार रहे हैं। इससे बौखलाये नक्सली जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए मौके की तलाश में थे। लेकिन सुरक्षाबलों के द्वारा सुरक्षा मानको का पालन करने से नक्सलियों को हमला करने का कोई मौका नहीं मिल पा रहा था। इससे बौखलाये नक्सलियों ने राशन सामग्री लेकर टेकलगुड़ा कैम्प जा रहे वाहन पर घात लगाकर रविवार दोपहर एक बड़ा विस्फोट किया। इसमें सीआरपीएफ के दो जवान आरक्षक शैलेन्द्र एवं विष्णु बलिदान हो गए।
सीआरपीएफ के जो जवान घटना में शहीद हुए हैं, वे इसी ट्रक में सवार थे। एक जवान ट्रक चला रहा था और एक जवान साथ में बैठा हुआ था। नक्सलियों की ओर से किये गये आईईडी विस्फोट की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस स्थान पर विस्फोट किया गया है, वहां जमीन पर छह फीट का गड्डा हो गया। ट्रक का इंजन ट्रक से अलग होकर हवा में उड़ते हुए सौ मीटर दूर जा गिरा है। नक्सलियों ने ट्रक को उड़ाने के लिए बाकायदा बारूदी विस्फोट किया है और विस्फोट के लिए लंबे समय से करते आ रहे अपने पुराने तरीके का उपयोग किया। पुलिस की जांच में देखा गया कि गड्ढे के किनारे से सौ मीटर दूर तक लंबा वायर एक झोपड़ी तक गया हुआ था। माना जा रहा है कि उसी झोपड़ी में बैठकर नक्सलियों ने विस्फोट किया है। पुलिस इसकी जांच कर रही है और झोपड़ी तक गए तार को जब्त कर लिया है।
सुरक्षाबलों के द्वारा हाल ही में धुर नक्सल प्रभावित टेकलगुड़म में नया कैंप स्थापित किया है। रविवार को जवानों के लिए दोरनापाल से राशन व अन्य रसद कैंप के लिए रवाना किया गया था। इस दौरान सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया था और रसद के साथ बड़ी संख्या में हथियार बंद जवान मोटरसाइकिल में चल रहे थे, इलाके में रसद जा रहा था ऐसे में आरओपी भी लगाई थी। अभी जगरगुंडा से सिलगेर तक जवानों की निगरानी में पक्की सड़क का निर्माण करवाया गया है, इसके बाद आगे कच्ची मिट्टी की सड़क है। नक्सलियों ने इसी का फायदा उठाकर सड़क के बीचो-बीच विस्फोटक लगाया था।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 जनवरी से 23 जून तक बस्तर संभाग में जवानों ने 141 नक्सलियों को ढेर किया है, इसके साथ ही कई नक्सली घायल एवं मारे गये हैं, जिसकी जानकारी समय-समय पर मिलती रहती है। वहीं इस दौरान केवल सात जवान ही बलीदान हुए हैं। इससे नक्सिलयों में बौखलाहट है और नक्सलियों ने कई बार जवानों और कैंप को निशाना बनाने का प्रयास किया, लेकिन कमजोर पड़ चुके नक्सलियों को मुंह की खानी पड़ रही है। अब नक्सलियों के पास सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के लिए एक मात्र तरीका आईईडी विस्फोट का बचा है, जिसका उपयोग नक्सली कर रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे
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