कोरबा: कर्मचारियों की हड़ताल का आज दूसरा दिन, दफ्तरों में सन्नाटा,जनता परेशान

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कोरबा: कर्मचारियों की हड़ताल का आज दूसरा दिन, दफ्तरों में सन्नाटा,जनता परेशान


कोरबा, 30 दिसंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के आह्वान पर प्रदेश के सरकारी तंत्र ने अपनी ताकत दिखा दी है। 29 दिसंबर से शुरू हुई तीन दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन आज मंगलवार को कोरबा जिले में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह ठप रही। जिले के करीब 20 हजार और प्रदेश के पौने 5 लाख कर्मचारियों के सड़कों पर उतरने से सरकार के खिलाफ आक्रोश साफ नजर आ रहा है।

हड़ताल का असर ऐसा रहा कि कलेक्ट्रेट से लेकर तहसील कार्यालयों और स्कूलों तक में ताले लटके मिले। काम के सिलसिले में पहुंचे ग्रामीणों और नागरिकों को बैरंग लौटना पड़ा। फेडरेशन ने स्पष्ट कर दिया है कि यह आंदोलन केवल सांकेतिक नहीं, बल्कि हक की लड़ाई है।

फेडरेशन के जिला संयोजक जगदीश खरे ने दोटूक कहा, “हम प्रदेश के पौने 5 लाख कर्मचारियों की आवाज उठा रहे हैं। महंगाई भत्ता सहित 11 सूत्रीय मांगें लंबे समय से लंबित हैं। शासन की वादाखिलाफी के कारण आज शैक्षणिक संस्थान और कार्यालय पूरी तरह बंद हैं।” वहीं, कर्मचारी नेता के.आर. डहरिया ने जनता को हो रही असुविधा पर खेद जताते हुए कहा कि शासन को तत्काल मांगों पर विचार करना चाहिए ताकि व्यवस्था सुचारू हो सके।

प्रमुख 11 सूत्रीय मांगें: जिन पर अड़ा है फेडरेशन

केंद्र के समान देय तिथि से केंद्र सरकार के समान महंगाई भत्ता और एरियर्स का भुगतान।

वेतन विसंगति: पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक कर लिपिकों, शिक्षकों और स्वास्थ्य कर्मियों की वेतन विसंगति दूर करना।

समयमान वेतनमान: सभी कर्मचारियों को चार स्तरीय समयमान वेतनमान का लाभ।

नियमितीकरण: संविदा, दैनिक वेतनभोगी और अनियमित कर्मचारियों के लिए ठोस नीति।

पेंशन व अन्य लाभ: कैशलेस इलाज की सुविधा, 300 दिनों का अवकाश नगदीकरण और सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करना।

अनुकंपा नियुक्ति: 10 प्रतिशत की सीलिंग हटाकर नियमों में शिथिलीकरण।

31 दिसंबर को हड़ताल का तीसरा और आखिरी दिन है। फेडरेशन के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि इन तीन दिनों में शासन की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई, तो आने वाले समय में यह आंदोलन और भी उग्र रूप ले सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार / हरीश तिवारी

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