नक्सल प्रभावित अंदरूनी इलाकों के दर्जनों गांव में नहीं हो रहा है, चुनाव प्रचार

नक्सल प्रभावित अंदरूनी इलाकों के दर्जनों गांव में नहीं हो रहा है, चुनाव प्रचार
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नक्सल प्रभावित अंदरूनी इलाकों के दर्जनों गांव में नहीं हो रहा है, चुनाव प्रचार


जगदलपुर, 15 अप्रैल(हि.स.)। छत्तीसगढ़ में बस्तर लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें एक मात्र जगदलपुर विधानसभा सीट आंशिक नक्सल प्रभावित हैं, वहीं बाकी सभी 07 विधानसभा सीट के जिला मुख्यालय को छोड़कर अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों का अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिलता है। इन दिनों नक्सलियों का टीसीओसी माह जारी है, जिसमें नक्सली बड़ी वारदात को अंजाम देकर वर्ष भर के लिए अपने प्रभाव/वजूद का प्रर्दशन करते हैं, लेकिन इस वर्ष नक्सलियों का टीसीओसी माह में सुरक्षा बल नक्सलियों पर भारी पड़े हैं, बीते टीसीओसी के 03 माह में नक्सलियों के बडे कैडर के 50 नक्सलियों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर नक्सलियों की कमर तोड़ दी है, जिसके परिणाम स्वरूप निचले कैडर के नक्सलियों का बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण का दौरा शुरू हो गया है। बावजूद इसके नक्सलियों को कमतर आंकना बड़ी भूल माना जाता है, जब कि 50 नक्सलियों के मारे जाने के बाद नक्सलियों की केंद्रिय कमेटी ने खून का बदला खून से लेने की धमकी भरा पर्चा जारी किया है। नक्सलियों के कमजोर पडऩे के बावजूद बस्तर लोकसभा क्षेत्र के नक्सल प्रभावित अंदरूनी इलाकों जिसमें नारायणपुर के अबूझमाड़, बीजापुर के करचोली, लेंड्रा, मरकमगुड़ा जैसे दर्जनों गांव हैं जहां प्रचार शून्य है। सुकमा, दंतेवाड़ा जिले का भी यही हाल है। कोंडागांव जिले में गिनती के ही ऐसे गांव हैं जहां प्रचार नहीं हो रहा है, बाकी जगहों पर थोड़ी सुगबुगाहट चल रही है। पूरे बस्तर पूरे बस्तर लोकसभा में चुनाव प्रचार बड़े नेताओं की सभाओं, प्रत्याशियों के जनसंपर्क अभियान और नुक्कड़ सभाओं के भरोसे टिका है। भाजपा को जहां राम और मोदी के नाम पर तो वहीं कांग्रेस को महिलाओं को एक लाख देने के नाम पर वोट मिलने की उम्मीद में है।

उल्लेखनीय है कि बस्तर संभाग के घुर नक्सल प्रभावित इलाकों में जहां सुरक्षाबलों को पंहुचना अपनी मौत को आमंत्रण देने जैसा होता था,उन दुर्दांत नक्सलियों के गांव में कैंप के खोले जाने से तथा चुनाव से पहले पिछले एक माह में हुए तीन मुठभेड़ों में 24 नक्सलियों को ढेर कर देने तथा नक्सलियों टीसीओसी माह के दौरान विगत तीन माह में 50 नक्सलियों के मारे जाने के बावजूद नक्सली अपने प्रभाव क्षेत्र में चुनाव का बहिष्कार करते दिख रहे हैं। जिसे ध्यान में रखते हुए लोकसभा चुनाव में नक्सलियों की चुनौती से निपटने के लिए एवं सुरक्षित मतदान के लिए बस्तर में इस बार 350 कंपनियां तैनात रहेगी। निर्वाचन कार्यालय ने बस्तर संभाग के 08 विधानसभा के 179 मतदान केंद्रों को शैडो एरिया के रूप में चिन्हित किया है। चुनाव आयोग ने पहले चरण में 19 अप्रेल को मतदान का निर्णय भी इसी वजह से लिया है, छग. में पहले चरण में बस्तर ही इकलौती सीट है जहां चुनाव होगा। छग.की बाकी दस सीटों पर अलग-अलग चरणों में चुनाव होना है। मतदान प्रक्रिया, पोलिंग अधिकारी और बूथों की सुरक्षा के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मतदान से पहले बस्तर लोकसभा के जगदलपुर व दंतेवाड़ा में प्रदेश की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने दौरा करते हुए अधिकारियों की बैठक ली है।

पहले चरण में बस्तर लोकसभा सीट में सबसे अधिक मतदाता लिंगानुपात है। यहां 14 लाख 72 हजार 207 मतदाताओं में 07 लाख 71 हजार 679 महिला मतदाता हैं, जो कुल मतदाताओं का 52 प्रतिशत है। बस्तर में कुल 1,961 मतदान केंद्रों में से 191 संगवारी मतदान केंद्र बनाए गए हैं, वहीं 36 युवा तथा आठ दिव्यांग मतदान केंद्र निर्धारित किया गया है। बस्तर में वर्ष 2019 में 63.16 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस साल मतदान प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है। आदिवासी बाहुल्य एसटी वर्ग के लिए आरक्षित बस्तर लोकसभा सीट पर 1952 से अब तक के चुनाव में आदिवासी सांसद ही जनता की आवाज बनते रहे हैं। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। पिछले चुनाव में यहां से कांग्रेस के दीपक बैज लगभग 40 हजार वोट से जीते थे। इसलिए भाजपा इस बार फूंक-फूंककर कदम रख रही है। भाजपा की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सभा कर चुके हैं। कांग्रेस से राहुल गांधी की सभा हो चुकी है। चुनाव प्रचार के लिए तीन दिन का ही समय बचा है। यहां 17 अप्रेल की शाम को प्रचार थम जाएगा और 19 अप्रैल को मतदान होगा। बस्तर लोकसभा सीट में इस बार 53 साल में सबसे ज्यादा रिकार्ड 11 प्रत्याशी मैदान में हैं पर मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच ही हो रहा है बाकी प्रत्याशी प्रचार करते हुए भी नही दिख रहे हैं। भाजपा ने विहिप के युवा चेहरे महेश कश्यप पर दांव लगाया है, यह उनका पहला चुनाव है। कांग्रेस ने अपने सबसे अनुभवी नेता और 06 बार के विधायक व पूर्व मंत्री कवासी लखमा को प्रत्याशी बनाया है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे

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