18 वर्ष बाद बनी नक्सलियाें के द्वारा किये गये एर्राबोर नरसंहार पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म

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18 वर्ष बाद बनी नक्सलियाें के द्वारा किये गये एर्राबोर नरसंहार पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म


जगदलपुर, 19 जुलाई (हि.स.)। सुकमा के रहने वाले आदर्श पांडेय ने 18 वर्ष पहले 16 जुलाई 2006 काे सुकमा के एर्राबोर में आधी रात काे सलवा जुडूम राहत शिविर में नक्सलियाें के द्वारा किये गये जघन्य नरसंहार पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है। पहली बार नक्सलियाें द्वारा सलवा जुडूम के राहत शिविर किये गये जघन्य नरसंहार की वारदात का इतना विस्तृत ब्योरा सामने आया है। आदर्श ने एर्राबोर जाकर इस नरसंहार के पीड़ितों और उस वक्त के पुलिस कर्मियों एवं इस नरसंहार में शामिल आत्मसमर्पित नक्सलियाें से मिलकर चर्चा कर उसे इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में जगह दी है। इसे छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट पर भी शेयर कर लिखा है, कि जानिए एर्राबाेर का सच, माओवाद से पीड़ित जनता का दर्द।

सुकमा के एर्राबोर में आधी रात काे सलवा जुडूम राहत शिविर में नक्सलियाें के द्वारा किये गये जघन्य नरसंहार पर बने डॉक्यूमेंट्री फिल्म में बताया गया है कि 16 जुलाई 2006 काे आधी रात के करीब सलवा जुडूम का राहत शिविर में बड़ी संख्या में नक्सली पहुंचते हैं। कुछ ही देर में गोलियां चलने की आवाजें आने लगती है। इससे पहले कि काेई कुछ समझ पाता नक्सलियों ने वहां सैकड़ों घरों (झोपड़ियों) में आग लगा दी। जवान मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक नक्सली जघन्य नरसंहार की वारदात काे अंजाम देकर भाग चुके थे। इस घटना में 50 से ज्यादा ग्रामीण मारे गए, कुछ जिंदा ही जल गए थे। वर्तमान में हालात बदले हैं, लेकिन पीड़ित ग्रामीणों के कानों में अब भी चीखने-चिल्लाने की आवाजें गूंजती हैं।

डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने वाले आदर्श पांडे ने शुक्रवार काे जानकारी देते हुए बताया कि माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियान और आदिवासियों के संघर्ष से जुड़ी कई घटनाओं पर नजर पड़ी, लेकिन शुरुआत इसी डॉक्यूमेंट्री से की। उन्हाेंने बताया कि जिस दौरान एर्राबोर आदिवासियों के कैंप पर हमला किया गया था, उस समय मेरी उम्र करीब 8 साल की ही थी। एर्राबोर नरसंहार की वारदात के बारे में सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे। उन्हाेंने बताया कि हमले में शामिल जिन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है उनसे भी बातचीत की गई थी, जिसमें आत्मसमर्पित माओवादियों से चर्चा से यह पता चला कि उन्हें भी टॉप लीडर्स ने यह नहीं बताया था कि वे उनके ही लोगों की हत्या करने के लिए ट्रेनिंग देकर ले जा रहे हैं। आत्मसमर्पित माओवादियों का भी कहना है कि यह निश्चित तौर पर बेहद भयावह हत्याकांड है, इस बात का अफसोस हमें आज भी है।

आदर्श पांडे ने अपनी शिक्षा के बारे में बताया कि वे छत्रपति शिवाजी इंजीनियरिंग कॉलेज भिलाई से रोबोटिक्स में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। हाई स्कूल तक की शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर सुकमा के बाद हायर सेकेंडरी की शिक्षा हम एकेडमी जगदलपुर से की। इसके बाद 2023 में एफटीटीआई की परीक्षा के लिए एक साल तक दिल्ली में पढ़ाई की और परीक्षा भी दी। एफटीटीआई की तैयारी के दौरान सिनेमा निर्माण से जुड़े बहुत से लोगों से मुलाकात हुई। वे कहते हैं मैं स्क्रिप्ट लेखन और निर्देशन के लिए स्वयं को तैयार कर रहा हूं।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे / चन्द्र नारायण शुक्ल

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