होली के नगाड़ों पर डीजे भारी, नई पीढ़ी को नहीं आता होली के फाग गाना-नंगाड़ा बजाना
श्रीजगन्नाथ मंदिर में जारी है नंगाड़े के धुन पर होली के फाग गाने की परंपरा का निर्वहन
जगदलपुर, 24 मार्च(हि.स.)। होली के पर्व में हर साल नंगाड़ों की थाप सुनाई देती थी, जो हर साल घटता जा रहा है। व्यापारियों ने बताया कि हर साल नंगाड़ों की बिक्री घटती जा रही है। लोग अब नंगाड़ा के बजाए डीजे को ज्यादा महत्व दे रहे है। होली पर्व के दौरान नंगाड़ों के प्रति घटते प्रेम को देखकर इस साल देर से बाजार में नंगाड़ा पहुंचा। नंगाड़ा जिस उत्साह के साथ बिकने के लिए बाजार पहुंचा था, उतनी ब्रिकी नहीं हो पाई है। नंगाड़ा बेचने वाले व्यापारियों का कहना है कि लोग लगातार अपनी परम्परा को भूलते जा रहे हंै, लोगों में अब नंगाड़ा के प्रति कोई शौक नहीं रहे गया है। उन्होने बताया कि ज्यादातर लोगो को होली के फाग गाना और नंगाड़ा बजाना नहीं आता है, नगाड़ा नही बिकने का यही मुख्य कारण माना जा रहा है। लोग अब डीजे को ज्यादातर पसंद करते है। छोटे बच्चें नंगाड़ा के लिए शौक पालते है तो पालक नंगाड़ा को फोडऩे की डर से उनके लिए ताशा खरीदकर ले जाते है, जिससे मिट्टी के बने नंगाड़े नहीं बिक रहे हैं।
360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के बनमाली पानीग्राही ने बताया कि रियासत कालीन जोड़ा होलिका दहन की शताब्दियों पुरानी परंपरा के निर्वहन के चलते श्रीजगन्नाथ मंदिर में नंगाड़े के धुन पर होली के फाग गाने की विलुप्त हो रही परंपरा को आज भी बनाये रखने में कामयाब हुए हैं। आगे भी 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज इस परंपरा का निर्वहन करता रहेगा। उन्होने बताया कि जगदलपुर में पहले लगभग सभी मुहल्लों में होली के कई दिन पहले से नंगाड़े के धुन पर होली के फाग गाने का दौर शुरू हो जाता था, लेकिन अब लगभग फाग गाने की परंपरा विलुप्त होती जा रही है। कुछ हमारे दौर के बचे लोग होली के एक दिन इसकी औपचारिकता पूरी कर रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे
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