बस्तर गोंचा पर्व में श्रीगोंचा पूजा विधान के लिए नए रथ का निर्माण शुरू हुआ

बस्तर गोंचा पर्व में श्रीगोंचा पूजा विधान के लिए नए रथ का निर्माण शुरू हुआ
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बस्तर गोंचा पर्व में श्रीगोंचा पूजा विधान के लिए नए रथ का निर्माण शुरू हुआ


बस्तर गोंचा पर्व में श्रीगोंचा पूजा विधान के लिए नए रथ का निर्माण शुरू हुआ


जगदलपुर, 26 जून (हि.स.)। बस्तर गोंचा पर्व की शुरुआत 22 जून देवस्नानपूर्णिमा चंदन जात्रा पूजा विधान के साथ प्रारंभ हो चुका है। भगवान जगन्नाथ स्वामी का अनसर काल 23 जून से 5 जुलाई तक जारी रहेगा, इस दौरान भगवान के दर्शन नहीं होंगे। 6 जुलाई को भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र के दर्शन श्रीमंदिर के बाहर नेत्रोत्सव पूजा विधान के साथ श्रद्धालु कर सकेंगे।

परंपरानुसार श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान के लिए नए रथ का निर्माण का कार्य जारी है। सिरहासार भवन में बस्तर के सिद्धहस्त कारीगरों के द्वारा रथ के पहिए का ढांचा तैयार किए जा रहे हैं। एक सप्ताह में 25 फीट ऊंची काष्ठ रथ बनकर तैयार हो जाएगा। नव निर्मित रथ में रथारूण होकर भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्राव बलभद्र स्वामी 7 जुलाई को श्रीगोंचा पूजा विधान के साथ ही जनकपुरी-गुडिचा मंदिर-सिरहासार भवन पहुंचेंगे। रथ निर्माण कर रहे कारीगर हरदेव ने बताया कि बस्तर दशहरा के विशालकाय दुमंजिला रथ निर्माण एवं बस्तर गोंचा रथ का निर्माण भी उन्हीं के गांव के कारिगर करते हैं।

बस्तर गोंचा समिति के अध्यक्ष विवेक पांडे ने बताया कि शताब्दियों से चली आ रही परम्परानुसार बस्तर गोंचा पर्व के लिए प्रतिवर्ष एक नए रथ का निर्माण किया जाता है। उन्होने बताया कि बेड़ा उमरगांव के सिद्धहस्त कारीगर हरदेव के नेतृत्व में पांच सदस्यों की टीम नये रथ का निमार्ण कर रहे हैं। रथ निर्माण कर रहे कारीगर हरदेव के अनुसार एक सप्ताह में रथ का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। बस्तर गोंचा पर्व के अक्षुण परंपराओं का निर्वहन 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है।

360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने बताया कि बस्तर गोंचा पर्व की तैयारी पूरे वर्ष जारी रहती है, भगवान जगन्नाथ के एक वर्ष के 12 माह में 13 पूजा विधान अनवरत चलते रहते हैं, जिसमें सबसे वृहद पूजा विधान बस्तर गोंचा पर्व में संपन्न किया जाता है। उन्होंने बताया कि 22 जून देवस्नानपूर्णिमा चंदन जात्रा पूजा विधान के साथ प्रारंभ हो चुका है, इसके साथ ही भगवान जगन्नाथ स्वामी का अनसर काल 23 जून से 5 जुलाई तक जारी रहेगा इस दौरान भगवान के दर्शन नहीं होंगे, 6 जुलाई को नेत्रोत्सव पूजा विधान एवं 7 जुलाई को श्रीगोंचा पूजा विधान की तैयारी जारी है। श्रीगोंचा पूजा विधान में नवनिर्मित गोंचा रथ सहित तीन रथों पर भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के 22 विग्रहों को रथारुढ़ कर श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान के साथ भगवान जगन्नाथ स्वामी जनकपुरी-गुडिचा मंदिर-सिरहासार भवन पहुंंचेंगे जहां 09 दिनों तक श्रद्धालु भगवान के पुण्य दर्शन लाभ प्राप्त करेंगे। इस दौरान परंपरानुसार विविध पूजा विधान व अनुष्ठान बस्तर गोंचा पर्व के कार्यक्रम के अनुसार संपन्न होंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे

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