जांजगीर: मनरेगा से बनी निजी डबरी से चमारिन बाई के मेहनती हाथों को मिला सहारा
कोरबा/ जांजगीर-चांपा, 27 जून (हि.स.)। जिले के अकलतरा विकासखण्ड के कटघरी में रहने वाली मेहनतकश श्रीमती चमारिन बाई के हाथों को जब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से निजी डबरी का सहारा मिला तो उनके जीवन में जो बदलाव आया वह किसी सपने से कम नहीं था। उनकी हिम्मत, मेहनत, और अपने काम के प्रति दृढ़ विश्वासी को कोई भी फिर आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता। यही चमारिन बाई के साथ हुआ, उन्होंने मेहनत की और अपनी आमदनी को बढ़ाया। इस डबरी से उन्हें मछली पालन, बतख पालन के साथ ही खेती किसानी में भी बहुत फायदा दिलाया। इससे उनकी कमाई का अतिरिक्त साधन तैयार हुआ। बरसात के बाद रबी सीजन की फसल में धान की फसल के के साथ सब्जी की खेती को भी संभव बनाया।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से किसानों के खेतों में जल संरक्षण संवर्धन का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें आजीविका संवर्धन के कार्याें से जोड़कर उनकी जिंदगी बदल रही है। जनपद पंचायत अकलतरा से 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित कटघरी में रहने वाली चमारिन बाई जीवन-यापन के साथ कृषि साधनों को सशक्त बनाने और आर्थिक उन्नति के द्वार खोलने के बारे में सतत रूप से सोचती रहती थी, लेकिन उनके पास इतनी पूंजी नहीं थी कि वह अपने सपनों को पंख दे सके। ऐसे में एक दिन रोजगार गारंटी में काम कर रहे रोजगार सहायक ने उन्हें निजी डबरी निर्माण किये जाने की बात बेहद ही संजीदा तरीके से बताई। यह बात उनको एवं उनके परिवार को रास आई।
उन्होंने सारी जानकारी लेने के बाद अपना आवेदन ग्राम पंचायत में जमा कराया और जब ग्राम सभा हुई तो उनकी सोच के साथ प्रस्ताव को सबके सामने रखा गया। काम की आवश्यकता को देखते हुए ग्राम सभा ने उनका प्रस्ताव मंजूर किया। इसके बाद जनपद से जिला जब प्रस्ताव पहुंचा तो निजी डबरी निर्माण के लिए 97 हजार रुपये की राशि प्रशासकीय रूप में स्वीकृत की गई। महात्मा गांधी नरेगा के जॉबकार्डधारी परिवारों ने मिलकर 369 मानव दिवस सृजित करते हुए चमारिन बाई की डबरी का निर्माण सितम्बर 2021 पूर्ण कराया।
कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार निजी डबरी तैयार हुई और इसमें बारिश का पानी भर गया और आसपास जमीन में भी नमी होने से पहली ही फसल में अच्छी पैदावार हुई। इसके साथ ही डबरी के आसपास उगाई गई सब्जियों से उन्हें अतिरिक्त आमदनी होने लगी। वह बताती है कि डबरी निर्माण के पहले वे धान की फसल के बाद मजदूरी कर उनका परिवार भरण-पोषण करता था, लेकिन जब से उनके खेत में निजी डबरी निर्माण हुआ है, तब से धान की खेती के साथ मछली पालन भी कर रही है, इसके साथ ही मुर्गी एवं बतख पालन का काम भी उन्होंने शुरू किया है। डबरी के आसपास चारों ओर सब्जी-भाजी तथा पेड़ भी लगाए हैं। पिछले एक वर्ष से वे मछली पालन और सब्जी बेचकर सालाना अच्छी आमदनी अर्जित कर रही हैं। उन्होंने बताया कि मनरेगा ने उनकी जिंदगी बदल दी है। निजी डबरी ने उनकी आजीविका को स्थायी और सशक्त बनाया है।
हिन्दुस्थान समाचार/ हरीश तिवारी
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