छत्तीसगढ़: कचरा बीनने वाली बिहुलाबाई ने अयोध्या निर्माण में दिये 20 रुपये दान, मिला आमंत्रण

छत्तीसगढ़: कचरा बीनने वाली बिहुलाबाई ने अयोध्या निर्माण में दिये 20 रुपये दान, मिला आमंत्रण
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छत्तीसगढ़: कचरा बीनने वाली बिहुलाबाई ने अयोध्या निर्माण में दिये 20 रुपये दान, मिला आमंत्रण


छत्तीसगढ़: कचरा बीनने वाली बिहुलाबाई ने अयोध्या निर्माण में दिये 20 रुपये दान, मिला आमंत्रण


रायपुर , 16 जनवरी (हि.स.)। ‘जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई..‘ श्रीरामचरितमानस के अरण्यकाण्ड की यह चौपाई बहुत विख्यात है। प्रभु श्रीराम के वनगमन के दौरान महर्षि अगस्त्य के आश्रम में आगमन हुआ, उसके ठीक पहले उन्होंने यह बात कही कि जिस पर प्रभु श्रीराम की कृपा होती है उस पर सम्पूर्ण जगत की कृपा हो जाती है। उक्त चौपाई को चरितार्थ करता एक प्रसंग सामने आया है, जहां छत्तीसगढ़ की एक बुजुर्ग महिला जो कचरा बिनने का कार्य करती हैं उनको श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का आमंत्रण मिला है।

उल्लेखनीय है कि अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीरामलला मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना है। इस कड़ी में अयोध्या रामजन्म भूमि ट्रस्ट ने देश के नामचीन लोगों को आमंत्रित किया है। इसमें छत्तीसगढ़ की प्रयाग नगरी गरियाबंद जिला के राजिम के वार्ड नंबर एक गांधीनगर की रहने वाली 80 वर्षीय बिहुलाबाई को भी न्यौता भेजा है।

राम मंदिर निर्माण में दिये थे 20 रुपये दान

बिहुलाबाई नगर के गली-मोहल्लों में कचरा बीनकर अपना गुजर-बसर करती हैं। रोज 40 से 50 रुपये कचरा बेचकर कमा लेती हैं। बिहुलाबाई ने अपनी इस 50 रुपये की आमदनी में से 20 रुपये भगवान श्रीराम मंदिर अयोध्या के निर्माण के लिए दान की थीं पर हैरानी की बात ये है कि उनके अयोध्या जाने के लिए अब तक कोई इंतजाम नहीं हो पाया है। ऐसे में वो शासन स्तर पर या किसी दानदाता की बांट जोह रही हैं।

विश्व हिंदू परिषद के प्रांत अध्यक्ष चंद्रशेखर वर्मा ने खुद राजिम आकर उन्हें अयोध्या मंदिर जाने का आमंत्रण पत्र दिया है। इसके बाद बिहुलाबाई के घर परिवार में खुशियां छा गई हैं। सभी रामलाल के दर्शन के लिए मिले आमंत्रण को लेकर काफी खुश हैं। अपने वो इस नेक कार्य की वजह से राजिम नगर समेत देश-प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। जैसे ही ये खबर लोगों को मिल रही है, सभी उनसे मिलने के लिए उनके घर पहुंच रहे हैं।

बंदर की याद में पति ने बनवाया था हनुमान मंदिर

बिहुलाबाई ने बताया कि उनके पति माकडु देवार एक बंदर पाले हुए थे। इस बंदर को गली-मोहल्लो में ले जाकर नचाते थे और उससे जो पैसे मिलते थे, उसी से परिवार का गुजर-बसर होता था। एक दिन अचानक बंदर की मृत्यु हो गई। इसका उन्हें बहुत दुख हुआ। उसकी याद में उनके पति ने घर के सामने ही छोटा सा हनुमान मंदिर बनवाया है, जहां पर वो रोज पूजा-पाठ करती हैं और दीया जलाती हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ गेवेन्द्र

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