जशपुर: जशक्राफ्ट से कालीन शिल्प को नई पहचान, महिलाओं को डिजाइनिंग का विशेष प्रशिक्षण

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जशपुर: जशक्राफ्ट से कालीन शिल्प को नई पहचान, महिलाओं को डिजाइनिंग का विशेष प्रशिक्षण


जशपुर: जशक्राफ्ट से कालीन शिल्प को नई पहचान, महिलाओं को डिजाइनिंग का विशेष प्रशिक्षण


जशपुर जिले की पारंपरिक हस्तशिल्प कला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने और कारीगरों को आधुनिक बाजार से जोड़ने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल की गई है। “जशक्राफ्ट” ब्रांड के अंतर्गत कालीन शिल्प को संवारने के उद्देश्य से विकास आयुक्त हस्तशिल्प, भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय की सीएचसीडीएस परियोजना के तहत “डिजाइन एंड डेवलपमेंट वर्कशॉप ऑन कारपेट क्राफ्ट” का आयोजन किया जा रहा है।

यह तीन माह का विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम जशपुर विकासखंड के बालाछापर ग्राम पंचायत स्थित रीपा परिसर में संचालित किया जा रहा है, जो 19 दिसंबर 2025 से 18 मार्च 2026 तक चलेगा। कार्यक्रम का आयोजन छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा जिला प्रशासन जशपुर एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के समन्वय से किया जा रहा है।

कार्यक्रम का उद्देश्य जशपुर जिले के पारंपरिक कालीन शिल्प को डिजाइन, गुणवत्ता और बाजार की मांग के अनुरूप विकसित करना है। इसके तहत स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं और कारीगरों को तकनीकी दक्षता, आधुनिक डिजाइनिंग और उत्पाद विकास की बारीकियां सिखाई जा रही हैं, ताकि उन्हें स्थायी आजीविका का माध्यम मिल सके। यह संपूर्ण प्रशिक्षण जिला कलेक्टर रोहित व्यास और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अभिषेक कुमार के मार्गदर्शन में संचालित हो रहा है।

छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक राजेंद्र राजवाड़े ने आज बताया कि प्रशिक्षण में भाग ले रही 30 महिलाओं को प्रतिदिन 300 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके साथ ही, प्रशिक्षण के दौरान तैयार किए गए उत्पादों के विपणन की जिम्मेदारी भी बोर्ड द्वारा स्वयं उठाई जाएगी, जिससे कारीगरों को बाजार की चिंता न रहे।

उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार की पहल पर जशपुर जिले में कालीन शिल्प के अलावा अन्य पारंपरिक कलाओं को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। मनोरा विकासखंड के अलोरी ग्राम पंचायत में काष्ठ हस्तशिल्प का दो माह का प्रशिक्षण तथा दुलदुला विकासखंड में गोदना शिल्प पर एक माह का विशेष प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। बालाछापर में चल रहे कालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम में दिल्ली से आई डिजाइनिंग विशेषज्ञ कौशिकी सौम्या के साथ-साथ स्थानीय प्रशिक्षक चिंतामणि भगत (अंबिकापुर) द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल जशपुर की पारंपरिक कला को नई पहचान दिला रहे हैं, बल्कि स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / पारस नाथ सिंह

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