बीजापुर : बेलमगुट्टा मुठभेड़ फर्जी, अहिंसक धरना-प्रदर्शन में भागीदारी निभाने जा रहे थे ग्रामीण : भाटिया

बीजापुर : बेलमगुट्टा मुठभेड़ फर्जी, अहिंसक धरना-प्रदर्शन में भागीदारी निभाने जा रहे थे ग्रामीण : भाटिया
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बीजापुर : बेलमगुट्टा मुठभेड़ फर्जी, अहिंसक धरना-प्रदर्शन में भागीदारी निभाने जा रहे थे ग्रामीण : भाटिया


निर्दोष ग्रामीणों को रास्ते में रोककर पुलिस ने मारी है गोलियां

बीजापुर, 27 जनवरी (हि.स.)। सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने आज शनिवार को पत्रवार्ता में जिले के बेलमगुट्टा की पहाड़ी पर 20 जनवरी को हुए मुठभेड़ को फर्जी करार देते हुए बताया कि मृतकों के परिजनों ने 24 जनवरी को बासागुड़ा थाने में इसकी रिपोर्ट भी दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि पुलिस जिन्हें नक्सली बता रही है, असल में वे निर्दोष ग्रामीण थे।

गोरनम में मुतवेंदी प्रकरण को लेकर जारी अहिंसक धरना-प्रदर्शन में अपनी भागीदारी निभाने जा रहे थे, उन्हें बीच रास्ते में रोककर पुलिस ने उन पर गोलियां दाग दीं। उन्होंने कहा कि बस्तर में नक्सल उन्मूलन के नाम पर फांसीवादी व्यवस्था को अपनाकर लोकतंत्र को पीछे ढकेलने का काम हो रहा है। आदिवासी अपने ही गांव में आज सुरक्षित नहीं हैं। जो मारे गए वे केवल 06 माह की मासूम को न्याय दिलाने के लिए जारी अहिंसक लड़ाई का हिस्सा बनने जा रहे थे।

सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने कहा कि उन्हें परिजनों ने बताया कि घटना 20 जनवरी सुबह की है। बेलम नेंडरा गांव से 08 ग्रामीण धरना में शामिल होने के उद्देश्य से रवाना हुए थे। गोटूमपारा से लगभग एक किमी दूर बेलम पहाड़ी पर चढ़ने के दौरान पुलिस जवानों ने उनका रास्ता रोक लिया।

गोरनम जा रहे ग्रामीण कतार में चल रहे थे कि इसी बीच जवानों की तरफ से चली गोली कतार में सबसे आगे सोनी मड़कम, नागी पुनेम, कोसा कारम को लगी, इससे तीनों की मौके पर मौत हो गई। घटना के प्रत्यक्षदर्शी पीछे चल रहे पांच अन्य ग्रामीण हैं। इसके बाद जवान बाकी पांच ग्रामीणों को पकड़कर बीजापुर ले गए। वहां पर उन्होंने उनके साथ बेरहमी से मारपीट की। इसके बाद इनमें से चार ग्रामीणों को छोड़ दिया, लेकिन कमलेश बारसे और बूधी उईका को जेल में दाखिल कर दिया गया।

बेला भाटिया का कहना है कि मारे गए और पकड़े गए ग्रामीणों का नक्सल संगठन और गतिविधियों से तो दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। पुलिस जिसे मुठभेड़ बता रही है, वह मुठभेड़ न होकर हत्या है। मृतकों में शामिल कोसा कारम के पांच बच्चे हैं। वह खेती-किसानी कर परिवार का भरण पोषण कर रहा था, जबकि दो नाबालिग थे। जवानों की गोलियों से बचने वाले पांच युवक हैं, जो गोरना गांव में मुतवेंडी घटना के विरोध में जारी धरना-प्रदर्शन में भाग लेने जा रहे थे। उनके परिजनों ने थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई और जवानों पर हत्या का आरोप लगाकर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

हिन्दुस्थान समाचार/राकेश पांडे

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