वनांचल के स्वयंभू गणेश मंदिर में प्रसाद खाने आते हैं भालू

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वनांचल के स्वयंभू गणेश मंदिर में प्रसाद खाने आते हैं भालू


- प्रसाद खाकर लौट जाते हैं जंगल, लोगों को नहीं पहुंचाते नुकसान

धमतरी, 7 अक्टूबर (हि.स.)। स्वयंभू गणेश मंदिर में शाम के समय पूजा की घंटी जैसे ही बजती है, वनांचल से अचानक तीन भालू आ धमकते हैं। वे यहां श्रध्दालुओं द्वारा मंदिर परिसर में रखे गए नारियल व अन्य प्रसाद को खाकर लौटते हैं। सालों से यह क्रम चल रहा है।

धमतरी जिले के नगरी विकासखंड बेलरगांव तहसील क्षेत्र के वनांचल ग्राम गढ़डोगरी (रै.) में नवरात्रि पर्व पर रात्रि में स्वयंभू गणेश मंदिर में आरती के समय तीन भालू प्रसाद खाने के लिए पहुंच जाते हैं। भालू का परिवार प्रसाद खाने के बाद वापस जंगल में लौट जाता है। भालूओं द्वारा प्रसाद खाने की घटना को देखने के लिए दूर- दूर से लोग पहुंचते हैं। भालुओं ने आज तक किसी पर हमला नहीं किया है, जबकि अधिकांश जंगली जानवर हिंसक होते हैं, और उन पर विश्वास करना मुश्किल होता है। यहां आने वाले भालुओं ने अब तक किसी को भी कोई नुक़सान नहीं पहुंचाया है। यह अविश्वसनीय किंतु सत्य घटना है। इसे देखकर हर कोई आश्चर्य चकित रहता है।

धमतरी जिले के बेलरगांव तहसील मुख्यालय से पांच किमी की दूर पर स्वयंभू गणेश भगवान का मंदिर है। वहां आसपास पूरा धार्मिक स्थल है। बहुत दिनों से निरंतर जंगल से तीन भालू प्रसाद खाने के लिए पहुंचते हैं। बताया जाता है कि प्रतिदिन नवरात्रि में स्वयंभू गणेश भगवान की शाम की आरती के समय वाद्य यंत्र बजाते हैं, तब जंगल क्षेत्र से भालू के तीन सदस्यीय परिवार गणेश मंदिर में पहुंच जाता है। यहां गणेश मंदिर के पुजारियों द्वारा अपने हाथों से प्रसाद खिलाया जाता हैं। भालू भी पालतू की तरह प्रसाद खाते हैं और प्रसाद खाने के बाद फिर से जंगल की और निकल जाते हैं। यह सिलसिला कई सालों से चल रहा है। लोगों की भीड़ होने के बावजूद जंगल से भालू मंदिर में पहुंचते हैं और वहां के पुजारियों के द्वारा दिए गए प्रसाद को खाकर बिना किसी को नुकसान पहुंचाए जंगल की ओर लौट जाते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

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