एआई आधारित खेती से बढ़ेगी उत्पादकता और घटेगी लागत : डाॅ अभिलाष चंदेल
प्रिसीजन फार्मिंग से किसानों को मिलेगा अधिक लाभ : कलेक्टर अबिनाश मिश्रा
धमतरी, 17 दिसंबर (हि.स.)। कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में जिला प्रशासन द्वारा एक महत्वपूर्ण पहल की गई। कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में बुधवार काे आयोजित जिलास्तरीय कार्यशाला में वर्जिनिया यूनिवर्सिटी (अमेरिका) के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. अभिलाष चंदेल ने जिले के किसानों एवं कृषि से जुड़े अधिकारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन एग्रीकल्चर विषय पर विस्तृत जानकारी दी।
कार्यशाला में कृषि, उद्यानिकी एवं पशु चिकित्सा सेवाओं के जिला एवं विकासखंड स्तरीय अधिकारी, प्रगतिशील किसान तथा उद्यानिकी उत्पादक उपस्थित रहे। डा चंदेल ने प्रिसीजन फार्मिंग (सटीक कृषि) की अवधारणा, उपयोगिता और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एआई आधारित तकनीकों के माध्यम से खेती को अधिक लाभकारी, टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल बनाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि प्रिसीजन फार्मिंग में जीपीएस, ड्रोन, सेंसर, सैटेलाइट इमेजरी और डेटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर खेत के प्रत्येक हिस्से की अलग-अलग आवश्यकताओं का आकलन किया जाता है। इससे सही समय पर, सही स्थान पर और सही मात्रा में पानी, उर्वरक एवं कीटनाशकों का उपयोग संभव होता है, जिससे उत्पादन में वृद्धि और लागत में कमी आती है। डा चंदेल के अनुसार, इस तकनीक से फसल उत्पादकता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी, जल एवं उर्वरकों का बेहतर प्रबंधन तथा फसल गुणवत्ता में सुधार होता है। रासायनिक तत्वों के संतुलित उपयोग से मिट्टी एवं जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है, जो पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने ड्रोन और सेंसर आधारित डेटा संग्रह, जीआईएस एवं साफ्टवेयर द्वारा विश्लेषण तथा जीपीएस आधारित स्मार्ट मशीनों से सटीक कृषि कार्यप्रणाली की जानकारी दी और किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने कहा कि आज की खेती को तकनीक, नवाचार और वैज्ञानिक सोच से जोड़ना समय की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्रिसीजन फार्मिंग जैसी आधुनिक तकनीकें किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन और सतत कृषि की ओर अग्रसर करेंगी। कलेक्टर ने विश्वास व्यक्त किया कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ किसानों को भविष्य की कृषि के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि जिले के किसान तकनीक अपनाने में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और शासन की मंशा है कि ड्रोन, सेंसर और डेटा आधारित निर्णय प्रणाली जैसी नवाचारी तकनीकों का लाभ जमीनीस्तर तक पहुँचे। इससे किसानों की आय में वृद्धि के साथ जल संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण संतुलन को भी मजबूती मिलेगी। कार्यशाला में उपस्थित किसानों और कृषि अधिकारियों ने इसे अत्यंत उपयोगी बताया। उनका कहना था कि एआई और प्रिसीजन फार्मिंग को अपनाकर किसान आत्मनिर्भर और लाभकारी खेती की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। यह पहल जिले में आधुनिक, टिकाऊ और समृद्ध कृषि को नई दिशा देने वाली सिद्ध होगी।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

