बीजापुर : पोटाकेबिन में अध्ययनरत एक छात्रा ने अस्पताल में एक बच्चे को दिया जन्म

बीजापुर : पोटाकेबिन में अध्ययनरत एक छात्रा ने अस्पताल में एक बच्चे को दिया जन्म
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बीजापुर : पोटाकेबिन में अध्ययनरत एक छात्रा ने अस्पताल में एक बच्चे को दिया जन्म


पुलिस और शिक्षा विभाग के अधिकारी सहित प्रशासनिक अधिकारियों का गंगालूर अस्पताल में लगा जमावाड़ा

बीजापुर, 13 मार्च (हि.स.)। जिले के गंगालूर 100 सीटर बालिका पोटाकेबिन छात्रावास के कक्षा 12वीं में अध्ययनरत एक छात्रा के पेट में दर्द होने की शिकायत के बाद उसे गंगालूर अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां छात्रा ने अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया है। इस खबर के बाद पूरे जिले में हड़कंप मच गया है। इसकी पुष्टि जिला शिक्षा अधिकारी बीआर बघेल ने भी की है। पुलिस और शिक्षा विभाग के अधिकारी सहित प्रशासनिक अधिकारियों का गंगालूर अस्पताल में जमावाड़ा लग गया है, मामले की जांच शुरू कर दी गई है। इस मामले में छात्रावास अधीक्षिका अंशु मिंज को बीजापुर कलेक्टर ने तत्काल निलंबित कर दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित इलाका गंगालूर के पोटाकेबिन में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा ने मंगलवार को पेट में दर्द की शिकायत की, इसके बाद स्टाॅफ के लोगों ने उसे गंगालूर अस्पताल लेकर गए। जहां डॉक्टरों ने उसकी जांच की, जांच के बाद डॉक्टर्स ने जब स्टाॅफ को बताया कि वह गर्भवती है, तो सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई। कुछ देर के बाद छात्रा ने एक बच्चे को जन्म दे दिया। इसकी खबर मिलते ही पोटा केबिन से लेकर जिला मुख्यालय तक हड़कंप मच गया। इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि छात्रा के गर्भवती होने की भनक तक यहां के स्टाॅफ को नहीं लगी। हालांकि यह सब कैसे हुआ इसका खुलासा मामले की जांच बाद ही हो पाएगा।

उल्लेखनीय है कि उक्त पोटाकेबिन में सैकडों की संख्या में यहां छात्राएं रहकर पढ़ाई कर रही हैं। लेकिन इस घटना से पता चलता है कि पोटाकेबिन में रह रही छात्राओं पर किसी तरह की निगरानी, देख-रेख नहीं होना एक बार फिर छात्राओं के आवासीय संस्थाओं में गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। सबसे बड़ी और आश्चर्य की बात यह है कि छात्रा गर्भवती थी और उसकी भनक यहां के स्टाॅफ और साथ में रह रही छात्राओं भी को नहीं लगना किसी के गले नहीं उतर सकता है।

उल्लेखनीय है कि इस तरह के मामले बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों में पहले भी सामने आए हैं। वर्ष 2019 में दंतेवाड़ा के पातररास के छात्रावास की एक छात्रा ने हॉस्टल में ही एक बच्चे को जन्म दिया था, तब नवजात की मौत हो गई थी। इस मामले में अधीक्षिका ने मामले को दबाने का पूरा प्रयास किया था, लेकिन मामला जब सामने आया, तो अधीक्षिका पर निलंबन की गाज गिरी थी। ऐसा ही एक अन्य मामला बीजापुर जिले में भी पहले सामने आ चुका है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे

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