जगदलपुर : पेशा नियम पर एक दिवसीय परिचर्चा में वक्ताओं ने रखी अपनी बात

जगदलपुर : पेशा नियम पर एक दिवसीय परिचर्चा में वक्ताओं ने रखी अपनी बात


जगदलपुर, 23 सितम्बर (हि.स.)। सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग द्वारा पेसा कानून 1996 नियम एवं 2022 पर शुक्रवार को एक दिवसीय संभागीय परिचर्चा का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने पेशा नियम पर अपनी बात रखी। इस दौरान उद्योग मंत्री कवासी लखमा, बस्तर सांसद दीपक बैज, विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी, बस्तर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम, संसदीय सचिव रेखचंद जैन, संतराम नेताम, चंदन कश्यप, विक्रम मंडावी, राजमन बेंजाम, अनूप नाग, बलराम मौर्य, प्रकाश ठाकुर, सुरेश कर्मा, नरेंद्र बुरखा, गंगा नाग, अश्वनी कांगे, संदीप सलाम, सोमारू कौशिक, बलदेव मौर्य, बल्लू भवानी, धीरज राणा, पूरन सिंह कश्यप, जगदीश चंद्र मौर्य, पप्पू नाग, रामदेव बघेल व संतु मौर्य व अन्य मौजूद थे।

अश्वनी कांगे ने कहा संविधान ने सत्ता का विकेंद्रीकरण करते हुए ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार है कि ग्राम सभाएं अपनी समस्त योजनाओं के संचालन और संपदाओं के प्रबंधन और मालिकाना अधिकार प्राप्त है साथ ही समस्त प्रकार की योजनाओं के सुचारू रूप से क्रियान्वयन के लिए ग्राम सभा ही मुख्य अंकेषण कर्ता है। साथ ही समस्त वन संपदाओं के स्वामित्व के लिए ग्राम सभा ही सक्षम है। आज हम पांचवी अनुसूची क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण के लिए बने पेसा कानून के नियम बनाने के लिए बात कर रहे हैं तो यह भी जानना लेना जरूरी है कि 23 साल हो गये पेसा कानून बने, पर हमें लगता है कि जहां मध्य भारत के 10 पांचवी अनुसूची राज्यों में केवल 06 राज्यों में पेसा के नियम बने हैं, उन सभी नियम को देखने में हमें लगता है, कहीं न कहीं वे सारे नियम एक टेबल में बैठ कर बनाया गया नियम है।

बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने बताया कि जब संविधान से आदिवासियों को बहुत अधिकार दिए हैं लेकिन हमारे आदिवासी समाज के पढ़े-लिखे युवा नौजवान इस अधिकार का उपयोग नहीं कर रहे हैं। पेसा-वन अधिकार जैसे कई कानून के कर्तव्य को समझने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। हमको इन सभी अधिकारों को जनजागृति करने की आवश्यकता है।

बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा कि पांचवी अनुसूची आदिवासी क्षेत्र विकास करने का एक बड़ा हथियार है, हमारे क्षेत्र में गुड़ी घोटूल जैसे कई धरोहर को संजोकर रखने का कार्य हमारी सरकार कर रही है। आदिवासियों की रूढ़ीगत परंपराओं को बचाने की कार्य हमारी सरकार कर रही है। हर कार्यक्रमों में आदिवासियों की संस्कृति रीति रिवाज खानपान रहन-सहन हमारी सरकार आकर एक पटल में रखने का कार्य किया है।

कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि कानून सकारात्मक और नकारात्मक हो सकता है, बस्तर संभाग के सभी विधायक आदिवासी मंत्रणा परिषद में पेशा कानून के कमियों की बात रखेंगे, 73 वां संविधान संशोधन में पंचायतों को बल मिला था लेकिन अनुसूचित क्षेत्रों में 1996 में एक कानून बना था, जिसका नाम पेशा कानून है।

लखमा कवासी ने कहा कि हम कांग्रेस पार्टी को कांग्रेस भवन में छोडक़र आए हैं। हम आदिवासी समाज के सदस्य हैं, हम पेसा एक्ट में जो भी कमियां है, उसको हम मंत्रणा परिषद में बात रखेंगे। उन्होने कहा कि प्रदेश के मुखिया भूपेश को इस बात से अवगत कराएंगे। गांधी परिवार को मैं बधाई देता हूं क्योंकि पंचायत कानून को लाने वाले गांधी-नेहरू परिवार है और पेशा कानून को लाने वाले पीवी नरसिंह राव की सरकार में लाया गया है। कांग्रेस हमेशा आदिवासियों के सोचने वाली पार्टी है।

हिन्दुस्थान समाचार/राकेश पांडे

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