कोण्डागांव का हस्तशिल्प विदेशी पर्यटकों को कर रहा आकर्षित

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कोण्डागांव का हस्तशिल्प विदेशी पर्यटकों को कर रहा आकर्षित


कोण्डागांव का हस्तशिल्प विदेशी पर्यटकों को कर रहा आकर्षित


कोण्डागांव का हस्तशिल्प विदेशी पर्यटकों को कर रहा आकर्षित


कोण्डागांव का हस्तशिल्प विदेशी पर्यटकों को कर रहा आकर्षित


कोण्डागांव का हस्तशिल्प विदेशी पर्यटकों को कर रहा आकर्षित


कोण्डागांव का हस्तशिल्प विदेशी पर्यटकों को कर रहा आकर्षित


कोण्डागांव 24 नवम्बर (हि.स.)। बीते कुछ महीनों से कोण्डागाँव में सैलानियों की उपस्थिति अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। अन्य राज्यों के अलावा विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में प्रतिदिन यहां पहुंच रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व पोलेंड से आये एक विदेशी पर्यटक पहुंचे थे जोकि विशेष रूप से यहाँ की हस्तशिल्प कला को देखने आये हुए थे। उन्होंने कोण्डागांव की सभी हस्तशिल्प कलाओं का अध्ययन भी किया और यहाँ के कार्यों से अभिभूत हुये।

उन्होंने विशेष ज़ोर देकर यह बताया कि, वे प्रमुख रूप से यहां के हस्तशिल्प कलाओं को देखने आये थे और जितना उन्होंने सोचा था उससे कहीं ज्यादा यह सुन्दर और आकर्षक है। उन्होंने आगे कहा कि इस कला को और बढ़ावा देने की नितांत आवश्यकता है जिससे हस्तशिल्प और इनके कारीगरों को अधिक से अधिक आयर्जन हो सके।

उल्लेखनीय है कि जिले में पहले केशकाल ही अपने जलप्रपातों और प्राकृतिक मनोरम दृश्यों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ था परन्तु अब कोण्डागांव की हस्तशिल्प कलाएं जैसे कि ढोकरा कला, लौह कला, टेराकोटा, तुमा कला। ये सभी पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बन रहा है। जिनसे हस्तशिल्प कारीगरों को भी काफी फायदा हो रहा है। जहाँ पहले इनके हस्तशिल्पों को बाजार में सही दाम नहीं मिल पा रहा था। वही आज ऑनलाइन माध्यमों से पर्यटक खुद उनके घरो पर आ कर सामान ले जाते हैं, तथा अब इन्हे फ़ोन पर ही आर्डर मिल जाता है।

वर्तमान में पर्यटकों में विशेषतः महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, आँध्रप्रदेश तथा मध्यप्रदेश राज्यों से आते हैं। जिला प्रशासन के अथक प्रयासों से पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर कई प्रतोयोगिताएँ एवं आयोजन भी करवाये जा रहे है। जिसमे युवाओं द्वारा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया जाता है। जिले के पर्यटन स्थलों में दस से ज्यादा जलप्रपात, कई प्रागैतिहासिक गुफा शैलचित्र, हिल टॉप व्यू पॉइंट्स, ट्रेकिंग रूट, पांचवी शताब्दी में निर्मित मंदिर, पिकनिक स्पॉट्स, कैंप साईट तथा संस्कृति प्रेमियों के लिए गोटुल संस्कृति, पारंपरिक अदिवासी नृत्य कलाएं आदि शामिल हैं। कोण्डागांव जिले का महत्त्व वर्त्तमान में ही नहीं बल्कि रामायण काल से बताया जाता है तथा उस काल से सम्बंधित कई स्थल भी यहाँ मौजूद है जिन्हें जिला प्रशासन की तरफ से बढ़ावा दिया जा रहा है। इन सभी से अलग यहाँ हर एक स्थल की अपनी एक अलग कहानी और अपनी अलग मान्यताएं भी है जो की इन्हें बाकि अन्य जगहों से अलग बनती है। जानकारों के अनुसार कोण्डागांव जिले में पर्यटन स्थलों की बात की जाये तो इनकी संख्या तीस से भी ज्यादा बताई जा रही है जो की अपने आप में एक विशेष बात है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजीव गुप्ता

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