छग विस चुनाव : पांच वर्षों में 40 लाख लोग गरीबी से बाहर आए हैं : पी चिदम्बरम
रायपुर, 29 अक्टूबर (हि.स.)। कांग्रेस के नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम ने रविवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारवार्ता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि स्व. अजीत जोगी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के बाद, भाजपा लगातार तीन बार चुनी गई और 2003 से 2018 के बीच रमन सिंह द्वारा तीन सरकारें बनाई गईं। 2018 से भूपेश के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार है। यह स्वाभाविक है कि हम 2018 और 2023 में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थिति की तुलना करें।
भाजपा सरकार के तीसरे कार्यकाल के अंत में, कृषि गहरे संकट में थी। मई 2003 से नवंबर 2018 के बीच, हजारों किसानों ने अपनी जान दे दी। 2017 में, सरकार ने 21 जिलों की 96 तहसीलों में सूखे की घोषणा की, लेकिन किसानों को फसल बीमा योजना के तहत वादा की गई राशि नहीं मिल पाई। भाजपा सरकार वादे के मुताबिक एमएसपी देने में भी विफल रही।
2017-18 के अंत में राज्य का राजकोषीय घाटा 3.34 प्रतिशत था। छत्तीसगढ़ भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक था। 39 प्रतिशत आबादी गरीबी में जी रही थी, 37 प्रतिशत बच्चे कुपोषित थे और 15-59 वर्ष की आयु वर्ग की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं। प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 11 प्रतिशत अंक कम थी। नियोजित लोगों में से केवल 10 प्रतिशत ही वेतनभोगी नौकरियों में थे। युवाओं (20-29 वर्ष) के लिए बेरोजगारी दर 22.2 प्रतिशत प्रतिशत थी। महिला श्रम भागीदारी और महिला रोजगार दोनों बेहद कम थे।
शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षिक विकास सूचकांक के मामले में छत्तीसगढ़ सभी राज्यों में 22वें स्थान पर है।
2010 से 2016 के बीच सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन में 12 प्रतिशत की कमी आई। सरकार ने 2010 से 2016 के बीच शिक्षा के लिए 13,379 करोड़ रुपये का बजट रखा, लेकिन सिर्फ 7592 करोड़ रुपये खर्च किये। भाजपा शासन के दौरान एससी और एसटी समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। भाजपा सरकार के तहत एससी और एसटी के खिलाफ अपराध दर में वृद्धि हुई थी। सरकार वन अधिकार कानून लागू करने में विफल रही। वन अधिकार अधिनियम के तहत आवदनों में मनमाने ढंग से खारिज कर दिया गया।
कृषि को प्राथमिकता ने छत्तीसगढ़ के धान के कटोरे को हरा-भरा बना दिया है। छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान का उपार्जन 2018 में 62 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2022 में एक करोड़ सात लाख मीट्रिक टन हो गया है। पिछले 5 वर्षों में सिंचाई सुविधाओं को दोगुना कर दिया गया है, जिससे कई किसान दूसरी फसल उगाने में सक्षम हो गए हैं। लगभग 19 लाख किसानों को लाभान्वित करते हुए 9272 करोड रुपये के कृषि ऋण माफ किये गये। 350 करोड़ रुपये का सिंचाई कर भी माफ किया गया। धान की खरीद 2640 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की जाती है। प्रत्येक भूमिहीन कृषि मजदूर को वार्षिक वित्तीय सहायता के रूप में 7000 रुपये मिलते हैं। आज, राज्य की जीडीपी में कृषि का योगदान 32 प्रतिशत है।
एससी और एसटी समुदाय का प्रगति सर्वोपरि है। कुल बजट का 45 प्रतिशत खर्च एससी और एसटी समुदाय पर होता है। वन अधिकार अधिनियम के तहत पांच लाख 18 हजार दावे स्वीकार किए गए और भूमि स्वामित्व वितरित किए गए। खरीदे गए लघु वनोपजों की संख्या सात से बढ़ाकर 67 कर दी गई। तेंदूपत्तों का एमएसपी 2500 रुपये से बढ़ाकर 4000 रुपये प्रति मानक बोरा कर दिया गया। प्रति व्यक्ति आय 2018 में 88,793 रुपये से बढ़कर 2023 में 1,33,897 रुपये प्रतिवर्ष हो गई है। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 5 वर्षों में 40 लाख लोग गरीबी से बाहर आए हैं।
फिर से कांग्रेस की सरकार आने के पर इन नये घोषणाओं को पूरा करेगी
सरकार द्वारा प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदेगी, बकाया कृषि ऋण माफ किये जायेंगे, कांग्रेस सरकार जातीय जनगणना कराएगी, मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत 17.50 परिवारों को आवास उपलब्ध कराये जायेंगे, तेंदूपत्ता संग्राहकों को 4000 रुपये वार्षिक प्रोत्साहन देगी, लघु वन उपज के एमएसपी में सरकार आने पर प्रति किलो 10 रुपये. बढ़ोत्तरी करने की घोषणा की, केजी से पीजी तक सरकारी स्कूल-कॉलेजों में कोई फीस नहीं, भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना में मिलने वाली राशि 7000 रुपये में 3000 रुपये को बढ़ोत्तरी कर 10 हजार रुपये प्रतिवर्ष दिया जायेगा। डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थय सहायता के तहत गरीब वर्ग के हितग्राहियों को अब 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा तथा अन्य सभी लोगो को 50 हजार से बढ़कार 5 लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी।
हिन्दुस्थान समाचार/ चंद्रनारायण शुक्ल
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