तीन सालों में मानव और हाथी के संघर्ष में 12 लोगों की जानें गईं

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तीन सालों में मानव और हाथी के संघर्ष में 12 लोगों की जानें गईं


जंगल और बांधों के कारण बन गया हाथी का विचरण क्षेत्र

धमतरी जिला हाथी को भाया, कारीडोर बनाने की मांग

धमतरी, 27 मई (हि.स.)। जंगल और बांधों के कारण पर्याप्त पानी की उपलब्धता से जंगली हाथियों को धमतरी जिला भा गया है। हाथी का विचरण क्षेत्र हाेने के कारण समय-समय पर मानव और हाथियों के बीच द्वंद होता रहता है। तीन सालों में 12 लोगों की जानें जा चुकी है। धमतरी के युवा नेता एवं मां विंध्यावासिनी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आनंद पवार ने धमतरी जिले में हाथियों की समस्या पर प्रदेश के वन मंत्री से चर्चा कर हाथी कारीडोर बनाने, क्षति की त्वरित मुआवजा, पेट्रोलिंग बढ़ाने की मांग की।

धमतरी जिले के गंगरेल बांध के डुबान क्षेत्र के मोंगरागहन, अकलाडोंगरी, सटयिारा, विश्रामपुर, बेलतरा, खिरकीटोला, तुमराबहार, डांगीमाचा, गंगरेल, मरादेव के साथ नगरी ब्लाक के गरियाबंद जिला से लगे गांवाें के जंगल में हाथियों का दल लगातार विचरण कर रहा है। धमतरी जिले में चंदा दल, सिकासेर दल, रेंगाराजा हाथी विचरण करते रहते हैं। आनंद पवार ने वन मंत्री से कहा कि हाथियों का प्राकृतिक रहवास क्षेत्र सिमटने के साथ ये मानव बस्तियों में आने लगे हैं। इसकी सुरक्षा के लिए हाथी कारीडोर की व्यवस्था की जानी चाहिए। साथ हाथियों द्वारा किए गए नुकसान की त्वरित मुआवजा और उनके आवागमन मार्ग पर वन विभाग की पेट्रोलिंग की पर्याप्त व्यवस्था करने की मांग की ।अन्य वन पशुओं के लिए भी आवश्यक व्यवस्थाओं पर भी विशेष रूप से कार्य करने का निवेदन किया।धमतरी जिले में तीन सालों से लगातार मानव और हाथी के बीच द्वंद हो रहा है। हाथी 12 लोगाें को कुचल कर मार चुके हैं। धमतरी जिले के गंगरेल बांध के डूबान क्षेत्र में हाथियों के हमले से पहली मौत विश्रामपुर निवासी संजू मंडावी की हुई। इसके बाद 29 सितंबर 2022 को सिलतरा के पास चनागांव निवासी प्रियेश नेताम की माैत हुई। उसका दोस्त संदीप कुंजाम गंभीर रूप से घायल हो गया। बिरनासिल्ली निवासी कमार युवती सुक बाई, पाइकभाठा निवासी भूमिका मरकाम,पांवद्वार निवासी बुधलाल, पारधी में सुखमा बाई कमार की मौत हो चुकी है। अप्रैल 2020 में नगरी निवासी सिमरन साहू 11 वर्ष अपने पिता शेखर साहू के साथ महुआ बीनने नगरी रेंज के तुमबाहरा के जंगल गई थी। महुआ बिन रही थी, तभी हाथी आ गया। हाथी को देखकर लड़की व पिता भागने लगे, लेकिन लड़की हाथी की चपेट में आ गई। हाथी ने छात्रा को कुचल कर मार डाला। अप्रैल माह में तीन दिनों में हाथी के हमले से पांच लोगों की मौत हुई थी। भालुचुआ गांव के कमारपारा निवासी कमला बाई को हाथियों ने पटक-पटक कर मारा डाला था। हाथी कारीडोर या हाथी गलियारा भूमि का एक संकीर्ण भाग होता है, जो दो बड़े आवास क्षेत्रों को आपस में जोड़ता है। हाथी गलियारों के विकास से हाथियों को जंगलों में ही न केवल रोकना संभव हो पाएगा। साथ ही हाथियों को मानव आवास वाले क्षेत्रो में घुसने की घटनाओं में कमी लाई जा सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ रोशन सिन्हा

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