छग विधानसभा : बेरोजगारी भत्ता देने का आधार व मापदंड का उठा मुद्दा, असंतुष्ट सदस्यों ने किया बर्हिगमन



रायपुर, 16 मार्च (हि.स.)। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में गुरुवार को बेरोजगारी दर के सर्वे पर जमकर हंगामा हुआ। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सीएमआईई के आंकड़ों के आधार पर सवाल किया कि क्या सरकार इसे मान्यता देती है। मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि इसे सरकार मान्यता नहीं देती, लेकिन केंद्र सरकार की संस्था एनएसएसओ द्वारा पिछले नौ साल से आंकड़े नहीं जारी किए जा रहे हैं, इसलिए प्राइवेट संस्था द्वारा जो रिपोर्ट जारी की गई है, उसे शामिल किया गया।

अजय चंद्राकर ने कहा कि गैर मान्यता प्राप्त संस्था को दो करोड़ का विज्ञापन दिया गया, जो भ्रष्टाचार है। यह पैसा सरकार वापस कराएगी क्या? इस पर मंत्री ने कहा कि संस्था को विज्ञापन नहीं दिया गया। संस्था ने सिर्फ कोट किया था। इस पर चंद्राकार ने पूछा कि बेरोगारी भत्ता का आधार क्या है, क्या मापदंड अपनाया जाएगा?

इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष डां. चरणदास महंत ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आपने बेरोजगारी भत्ता देने का निर्णय लिया है। ऐसे में तो पता होना चाहिए कि बेरोजगार कौन है। इसके लिए मापदंड होना चाहिए। उन्होंने मंत्री पटेल से जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री भूपेश ने जवाब देते हुए कहा कि भारत सरकार बेरोजगार जनगणना करवाता था, लेकिन विगत कई सालों से यह आंकड़ा जारी नहीं हो रहा है। इसलिए प्राइवेट संस्था सीएमआईई से सर्वे करवाया गया।

इसके बाद फिर अजय चंद्राकर ने पूछा कि सीएमआईई के आंकड़ों को यदि मान्यता नहीं देती तो कम बेरोजगारी दर को लेकर सरकार ने दो करोड़ का विज्ञापन दिया। क्या यह विज्ञापन का पैसा सरकार वापस कराएगी। मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि केंद्र सरकार की संस्था एनएसएसओ द्वारा पिछले नौ साल से आंकड़े नहीं जारी किए जा रहे हैं, इसलिए प्राइवेट संस्था द्वारा जो रिपोर्ट जारी की गई है, उसे शामिल किया गया। सरकार के जवाब से नाराज विपक्ष में बर्हिगमन कर दिया।

हिन्दुस्थान समाचार/ चंद्रनारायण शुक्ल

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