विद्यालय प्रबंधन का लोकतांत्रिकरण विषय पर कार्यशाला आयोजित

विद्यालय प्रबंधन का लोकतांत्रिकरण विषय पर कार्यशाला आयोजित
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विद्यालय प्रबंधन का लोकतांत्रिकरण विषय पर कार्यशाला आयोजित


भागलपुर, 11 दिसंबर (हि.स.)। भागलपुर के कला केंद्र में सामाजिक सांस्कृतिक संस्था परिधि की ओर से सोमवार को विद्यालय प्रबंधन का लोकतांत्रिकरण विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई। कार्यशाला में विद्यालय शिक्षा समिति से जुड़े सदस्यों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और अपने अनुभव बांटे। परिधि के निदेशक उदय ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि गांव गरीब वंचित का एक मात्र सहारा सरकारी स्कूल ही है। सरकारी स्कूल को बचाना और मजबूत करना हम सब की जिम्मेदारी है।

विद्यालय शिक्षा समिति को मजबूत और सक्रिय बनाकर हम जेंडर जस्टिस और ग्रास रूट डेमोक्रेसी को मजबूत कर सकते हैं। महात्मा गांधी हिंदी अंतर्राष्ट्रीय विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति गांधी विचार विशेषज्ञ डॉ मनोज कुमार ने कहा कि शिक्षा संस्थानों पर सरकारी नियंत्रण या समाज का नियंत्रण यह बहस का मुद्दा रहा है। पैसा सरकार का नियंत्रण समाज का यह मांग सिविल सोसायटी की उठती रहती थी। शांति निकेतन जैसे संस्थान निजी ही थे, लेकिन शिक्षा में रविंद्र नाथ ने अद्भुत प्रयोग किए। शिक्षा में सवाल निजीकरण और सरकारीकरण का नहीं, बल्कि व्यवसायीकरण का है।

उन्होंने कहा कि विद्यालय शिक्षा समिति चाहे तो इनोवेटिव काम कर सकती है। बुनियादी शिक्षा की अवधारणा पर स्कूल की जमीन का उपयोग बागवानी के लिए किया जा सकता है। राष्ट्र सेवा दल के मंत्री और यूसुफ मेहर अली केंद्र के समन्वयक रविंद्र कुमार सिंह कहा कि हमारे संघर्षों के कारण 2000 ई में शिक्षा मौलिक अधिकार बना फिर 2009 में जब अनिवार्य और नि:शुल्क शिक्षा अधिकार कानून तो उसमें एसएमसी का प्रावधान किया गया। बिहार सरकार ने जब अपना रूल बनाया तो इसे वीएसएस विद्यालय शिक्षा समिति नाम से अधिसूचित किया। विद्यालय शिक्षा समिति की बनाबट अपने आप में बदलावकारी है।

विद्यालय शिक्षा समिति में पचास प्रतिशत महिलाओं को अनिवार्य रूप से रखने का प्रावधान है। वीएसएस में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े, अत्यंत पिछड़े, बाल संसद से एक लड़का, मीना मंच से एक लड़की, वार्ड सदस्य, प्रधानाध्यपक, शिक्षक प्रतिनिधि को प्रतिनिधित्व दिया गया है। वीएसएस के सक्रिय होने से जमीन पर लोकतंत्र उतर जायेगा। जनप्रिय के गौतम कुमार ने कहा कि विद्यालय शिक्षा समिति के निष्क्रियता और जानकारी के अभाव में स्कूल सालों भर एडमिशन से मना कर दिया जाता है। कुछ स्कूल नामांकन के लिए जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड मांगते हैं। जबकि आरटीई इसकी इजाजत नहीं देता।

हिन्दुस्थान समाचार/बिजय/चंदा

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