राष्ट्रीय नाट्य समारोह के दूसरे दिन ''हे राम'' से शुरू नाटक ''कथा'' ने बांधा समां
बेगूसराय, 04 दिसम्बर (हि.स.)। संस्कृति मंत्रालय के उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज द्वारा बेगूसराय के दिनकर कला भवन आयोजित राष्ट्रीय नाट्य समारोह के दूसरे दिन बीते रात चर्चित नाट्य संस्था फैक्ट आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी द्वारा नाटक ''कथा'' का मंचन किया गया। कथा के लेखक हैं सुधांशु फिरदौस तथा निर्देशन किया राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी के निदेशक प्रवीण कुमार गुंजन ने।
''हे राम, मेरे राम, सबके राम सियाराम'' से शुरू नाटक प्रेम और पानी की वकालत करते हुए धीरे धीरे आगे बढ़ती है। इसके बाद अपने गीत, संगीत और कथन से समाज में व्याप्त जातीयता, असमानता एवं दो वर्गों के बीच के अंतर को सीधे दर्शकों के सामने रखती है। लोचन और गुड़िया की प्रेम कथा के इर्द-गिर्द घूमती यह कहानी अंत में महज एक प्रेम कहानी ना रहकर दर्शकों के लिए स्वयं से कई सवाल करने का कारण बन जाती है।
नाटक की शुरुआत में दर्शक मुस्कुराए लेकिन अंत में विचारमग्न हो गए। अभिनय कर रहे प्रत्येक कलाकार बेहद संवेदनशील, सशक्त दिख रहे थे। उन्होंने अपने संवाद और अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नाटक का संगीत जितनी बढ़िया थी, उतनी ही कहानी को ताकत दे रहा थी। अभिनेत्री आईशा यादव और प्रिया कुमारी ने अपने अभिनय के माध्यम से दर्शकों को प्रेक्षागृह में टिके रहने के लिए मजबूर कर दिया। देवानंद सिंह प्रभावशाली दिखे।
''कथा'' ने अमीर-गरीब, ऊंच-नीच की लड़ाई के साथ प्रेम और पानी के लिए होने वाली जंग से बेगूसराय के दर्शकों को रूबरू करवा दिया। नाटक के निर्देशक प्रवीण कुमार गुंजन के परिकल्पना एवं निर्देशन में मंचित कथा ने एक गंभीर और जटिल विषय को रोचक तरीके से दर्शकों को सामने रखा। ''हे राम, मेरे राम, सबके राम सियाराम'' से शुरू कथा ने जताया कि संसार आधे अधूरे कथाओं का ही जाल है। ना कथा पूरी होती है और ना ही संसार।
नाटक ने बताया कि ऊपर वाले ने हर दूसरे को पहले से कमजोर बनाया है, जिससे असमानता फैल रही है। जल की विकट समस्या बन रही है, दुनिया में लोग पानी के लिए पानी पानी हो रहे हैं। प्रेम और पानी के लिए युद्ध तो शुरू ही है, शायद अगला विश्व युद्ध इसी मुद्दे को लेकर हो। पानी की तलाश में भटकते लोग तथा प्रेम कहानी से शुरू कथा प्रेम संबंध से गुजरते हुए प्रेम की परीक्षा देने के बाद भी पूरा नहीं होने पर आकर समाप्त हो जाता है।
कलाकारों में मुख्य चंदन वत्स, अंकित शर्मा, देवानंद सिंह, दीपक कुमार, कमलेश ओझा, चंदन कुमार, वैभव कुमार, जितेन्द्र कुमार, आईशा यादव, प्रिया कुमारी एवं मो. रहमान आदि ने शानदार अभिनय किया। संगीत संयोजन दीपक एवं अमरेश कुमार ने किया। जबकि, गायन और वादन में लालबाबु एवं रविकांत कुमार थे। चिंटू मुनि के प्रकाश परिकल्पना एवं खुशबू कुमारी के पार्श्व ध्वनि का बेहतरीन संयोजन था।
नाटक के मंचन से पहले मेयर पिंकी देवी, पूर्व मेयर संजय कुमार सिंह, आर्यभट्ट के निदेशक प्रो. अशोक कुमार सिंह अमर, कलाप्रेमी विश्वरंजन प्रसाद सिंह राजू एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के अधिकारी अजय गुप्ता ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मेयर पिंकी देवी बेगूसराय के समृद्ध रंग कला की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारा बेगूसराय रंग कर्म के क्षेत्र में हमेशा उन्नत रहा है। हम सब अपने रंग कम को इसी तरह समृद्ध करते रहें।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा
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