राष्ट्रीय नाट्य समारोह : उत्तर प्रदेश के अनुष्ठान ने दिखाया ''जोगिया राज''
बेगूसराय, 14 दिसम्बर (हि.स.)। बिहार की सांस्कृतिक राजधानी बेगूसराय में द प्लेयर्स एक्ट द्वारा आयोजित राष्ट्रीय नाटक समारोह ''रंग उत्सव'' में देश के विभिन्न हिस्से से आए नाट्य संस्था मंचन के माध्यम से रंग कला का अलग-अलग रूप में बिखेर रही है। इसी कड़ी में बीते रात लखनऊ से आई ''अनुष्ठान'' द्वारा विजय पंडित की बहुचर्चित कहानी ''जोगिया राग'' का मंचन किया गया।
दिनकर कला भवन में चल रहे समारोह के चौथे नाटक का शुभारंभ एलआईसी के सीनियर रीजनल मैनेजर आर.पी. साहा, उप मेयर अनिता राय, डॉ. राहुल कुमार, प्रो. अशोक कुमार सिंह अमर, विश्व रंजन सिंह राजू एवं अभिजीत मुन्ना ने दीप प्रज्वलित कर किया। अतिथियों का स्वागत फेस्टिवल डायरेक्टर चंदन कुमार सोनू एवं मंच संचालन दीपक कुमार ने किया। मात्र दो कलाकारों के इस नाटक ने दर्शकों को खूब हंसाया भी और रिझाया भी।
जोगिया राग मूलतः गांव में रहने वाली सावित्री की कथा है.जिसे लोग सावितरी नाम से पुकारते हैं। सावित्री का विवाह ब्राह्मण कुल में पैदा हुए बालमुकुंद के साथ होता है। सावित्री भविष्य के सपने संजोये अपने ससुराल आती है। लेकिन सुहागरात की ही रात बालमुकुंद सावित्री को बिना बताये ही घर गृहस्थी छोड़कर चला जाता है और जोगी बन जाता है। घर में सावित्री और उसके बूढ़े ससुर ही बचते हैं।
बालमुकुंद की प्रतीक्षा करते-करते सावित्री काफी साल बिता देती है। बालमुकुंद आता नहीं है और सावित्री आस छोडती नहीं है। इस बीच गांव के लोग उस को कहते हैं कि बालमुकुंद अब कभी लौट कर नहीं आएगा और कई लोग उससे अनैतिक संबंध बनाने पर बल देते हैं। सावित्री सब को झिड़क देती है। एक रात जब गांव में जोगियों का दल आया रहता है, तो सावित्री मुकुंद के नाम पर एक ऐसे व्यक्ति को पति बना कर लाती है जो कि जोगी तो होता है।
लेकिन वह खुद कहता है कि वह बालमुकुंद नहीं है। दोनों के एकाकार होने के साथ समाप्त हो जाता है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय पास आउट निधि मिश्रा ने सावित्री के चरित्र को बखूबी निभाया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के ही मुक्ति रविदास ने बालमुकुंद के चरित्र को जीवंत प्रस्तुत किया। सार्थक रंगमंच के संवाहक अनुष्ठान की प्रस्तुति जोगिया राज का डिजाइन और निर्देशन किया देवेन्द्र राज अंकुर ने। मंच से पहले लाइट गुंजन सिंह, म्यूजिक डिजाइन स्रेहा कुमार एवं म्यूजिक कुंदन कुमार का था।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा
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