राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव : ''आधे-अधूरे'' ने दिखाई मध्यम वर्गीय परिवार की स्थिति

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राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव : ''आधे-अधूरे'' ने दिखाई मध्यम वर्गीय परिवार की स्थिति


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राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव : ''आधे-अधूरे'' ने दिखाई मध्यम वर्गीय परिवार की स्थिति


बेगूसराय, 18 दिसम्बर (हि.स.)। आशीर्वाद रंगमंडल द्वारा बेगूसराय के दिनकर भवन में आयोजित नौवें आशीर्वाद राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन मंच ग्रुप मुंबई के कलाकारों ने मोहन राकेश के चर्चित नाटक ''आधे-अधूरे'' का मंचन फिल्म अभिनेता विजय कुमार के निर्देशन में किया। इस नाटक को मिल का पत्थर भी कहा जाता है।

नाटक वर्तमान जीवन से संबंधित था और कहानी एक परिवार के इर्द गिर्द घूमती है। जिसमें सावित्री काम-काजी औरत की भूमिका में नजर आती है। उसका पति महेंद्रनाथ जो कि बहुत दिन से काम काज नहीं कर बहुत दिन से यूं ही निठल्ला पड़ा रहता है। बस अपनी कमाई से घर का कुछ सामान खरीद के बहुत दिन बैठा है। घर की बड़ी लड़की बिन्नी जो शादी-शुदा है।

जिसने मनोज के साथ भाग कर शादी कर ली थी। छोटी लड़की किन्नी है और घर का सब से आलसी पुरुष अशोक है। मोहन राकेश का यह नाटक ''आधे-अधूरे'' एक मध्यवर्गीय परिवार की विसंगतियों को उजागर करता है। यह नाटक स्त्री-पुरुष के संबंधों, अमानवीय परिस्थितियों और पारस्परिक मतांतर का एक जीवंत दस्तावेज है जो पूरा होते-होते अधूरा रह जाता है।

नाटक में आधुनिक मध्यवर्गीय परिवार की सामाजिक, मानसिक और आर्थिक स्थितियों का यथार्थ चित्रण किया गया है। हालांकि जिस दौर मे यह नाटक लिखा गया था तब से अब सामाजिक स्वरुप और रहन-सहन में काफी बदलाव आया है। एक मध्यवर्गीय परिवार हमेशा आर्थिक आभाव से जूझता रहता है। वहां बेरोजगारी से जूझते हुए सही और गलत कदम उठते रहते है।

विजय कुमार इस नाटक में निर्देशक के साथ ही अभिनेता के रूप में विभिन्न पात्रों की जीने में सफलता हासिल करते हैं। यह किसी भी एक पात्र के लिए आसान भी नहीं होता है। वह भी तब जब एक व्यक्ति विभिन्न व्यक्तियों के रूप में किसी एक स्त्री के जीवन में विभिन्न तरीके से आता है। लेकिन उसका चरित्र पुरुष सत्तात्मक ही रहता है। वीणा शर्मा ने सावित्री का अभिनय शानदार रहा। वह विश्वास के साथ कहती है कि अब सब कुछ उसे ही करना होगा।

फिर वह बिखरती भी है, लेकिन तनाव प्रदर्शित करने में अभिनेत्री कामयाबी हासिल करती है। अन्य पात्र में बड़ी बेटी बिन्नी कि भूमिका मे जेबा अंजुम को दर्शकों ने खूब सराहा। वहीं, छोटी बेटी किन्नी कि भूमिका में सिमरन दर्शकों का दिल जितने में कामयाब रही। बेटा अशोक की भूमिका में अभिनेता आशुतोष खरे का भी अभिनय दमदार रहा। वरुण कुमार की प्रकाश परिकल्पना एवं संचालन नाटक के दृश्य और कथ्य को स्पष्ट करता दिखा।

हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

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